इंसान की जिंदगी में यदि कुछ महत्वपूर्ण है वह है पैसा !

इंसान की जिंदगी में यदि कुछ महत्वपूर्ण है वह है पैसा! लोग ऐसा मानते हैं,की उनके पास धन नहीं,पैसा नहीं,अमीरी नहीं,तब वो कहीं के नहीं! किन्तु  ऐसा वो लोग सोचते हैं जिनमे हिम्मत नहीं,पुसार्थ नहीं! ईश्वर द्वारा किसी को गरीबी उपहार में नहीं दिया है,गरीबी हमारे अंदर का एक भ्रम है,इंसान चाहे तो अपने पुरुसार्थ से अमीरी के दरवाजे खोल सकता है,ईश्वर ने दुनिया की रचना शुख और आनंद के लिए किया है,किन्तु ज्यादा तर लोग कीड़े मकोड़े सी जिंदगी जीते हैं,इतनी सुन्दर दुनिया बनाने वाला ईश्वर गरीबी जैसी कुरूप बस्तु को क्या बनाया होगा?ईश्वर द्वारा निर्मित सुन्दर सृष्टी की की इस रचना में गरीबी का घुन कैसा लगा?इस्सके उत्तर में इंसान खुद है जो गरीबी का प्रादुर्भाव अपने मन में पैदा करता है,गरीबी का आतंक इंसान स्वयं पैदा करता है,अपने अंदर छिपे दुर्गुणों के चलते!इंसान को यह अनमोल जीवन शुख सुबिधाओं को भोगने लिए हुआ है,जीवन किसी का अलग तरह का नहीं होता है,जीवन चाहे अमीर का हो,या गरीब का दोनों का जीवन सम्बृद्ग जीवन होता है,गरीब वह है जो आवश्यकता और इच्छा होने पर उसकी पूर्ति न कर पाये!इंसान दूसरों के शुख को देख कर जलता है,कूदता है,ईर्षा करता है,उसके मन में सांप लोट्टा है,लेकिन वह जरा भी यह नहीं सोचता की आखिर वह इन शुखो से बंचित क्यों है?अपनी कमियों को न खोज कर वह अपने को बेचारा और अभागा सिद्ध करने में लगा रहता है,इंसान चाहे तो अपनी दशा  को बदल सकता है!इंसान अगर अपनी तमाम परिस्थितियों का बिश्लेषण कर अपने अंदर छिपी हताशा,निराशा,हीनता,अकर्मणडता और आलस्य निकाल धैर्य  कर के साथ अपने एक आदर्श लक्ष्य को पाने के लिए लग जाता है,तो वह अपनी बिपरीत परिस्थितियों को अपने अनुकूल बना लेता है,दुनिया में आज बड़े लोग वही है जिन्होंने गरीबी को बरदान मान कर अपने कर्तब्यों से लड़ना सीखा है आज अमीरों की जब आप कहानी पड़ेगें तब यह पायेगे की पहले वह कितना गरीब था और आज कहाँ है,जी नहीं उन्हें अमीरी उपहार में नहीं मिली वो अपना खून और पसीना बहाया है,तब जा कर वो अमीर हो पाया है,दुनिया का हर इंसान नंगा पैदा होता है,वह सब कुछ इसी दुनिया में बनाता है और पता है,गरीबी इंसान को अमीर बनाने के लिए रास्ता निकालती है,उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा देती है,गरीबी से ही अमीरी की सुगंध निकलती है,वैसे तो हर इंसान करोडो का मालिक होता है क्योकि लोग इंसान को अनमोल कहते है,सही दिशा में चलने वाला बिज्याभिलासी ब्यक्ति निस्चय ही आमीर हो जाता है!अमीरी के शिखर को पाने की अभिलाषा रखने वाला ब्यक्ति रात के सन्नाटे में जब सब सोते होते हैं,तब वह पागलों की तरह काम में मस्त रहता है,और वह आमीर हो जाता है वह सबसे आगे निकल जाता है,उसके आगे कठिनाइयां नत मस्तक हो जाती हैं,
अपना मुकदद्ऱ खुद लिखिए!
गरीब होने का दोषारोपण दूसरों पर मत मड़ियें,
शिवभरोश तिवारी

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