एक बूढा आदमी अपने बेटे , बहू और पोते के साथ रहता था।

एक बूढा आदमी अपने बेटे , बहू और पोते के साथ रहता था। उसका पोता उससे बहुत प्यार करता था। बुढ़ापे की वजह से वह हमेशा बीमार रहता था और दिन रात खाँसा करता था। उसकी बहू को ये पसन्द नहीं था। एक दिन तंग आकर उसने अपने पति से कहा कि आपके पिता जी हमेशा खाँसा करते हैं जिससे मैं रात मे डिस्टर्ब हो जाती हूँ। आप इन्हें बाहर वाले जो खपरैल वाला घर है उन्हें वहीं रहने को कह दो अब मै और बर्दाश्त नहीं कर सकती। बेटा पिता को घर से बाहर नही करना चाहता था पर पत्नी के आगे उसकी एक न चली और पिता जी से मजबूरन बाहर जाने को कहने लगा।

बेचारा बूढ़ा बिना कुछ कहे खपरैल वाले घर मे चला गया।बहु हमेशा अपने बेटे को सिखाया करती की बड़ो का आदर करो। पोता भी बूढे पिता के साथ जो भी होता वो चुपचाप देखा करता। कुछ दिन के बाद बहु ने घर के बर्तन मे खाना पानी देना भी बन्द कर दिया। एक थाली, गिलास, पानी रखने के लिये एक मिट्टी का मटका दे दिया।

एक दिन मटके मे पानी खत्म हो गया तो उसने सोचा कोई नही है तो मै ही भर लाता हूँ। जब वो पानी भरकर ला रहा था तभी मटका हाथ से छूट गया और वह फूट गया। मटके की फूटने की आवाज सुनकर सभी घर से बाहर आ गए।

उसका पोता दौड़ते – दौड़ते आया और उसने दादा जी को एक थप्पड धीरे से लगाया और कहा आप ये मटका क्यों फोड़े।यह देखकर उसका बेटा और बहु आश्चर्य चकित हो गये और कहने लगे मटका फूटा है तो दूसरा आ जायेगा। इसके लिये दादा जी को थप्पड़ क्यो मारा। अपने बड़ो के साथ ऐसा भी कोई करता है भला।

पोते ने आँखो मे आँसू भरकर रोते हुए कहा-“दादा जी ने ये पानी का मटका तोड़ दिया अब बताओ मै क्या करुँगा? जब आप दोनों बूढ़े हो जायेंगे तो आपको मै किसमें पानी दूँगा”।

दोस्तों हम जैसा अपने बड़ो के साथ करेंगे वही आगे चलकर हमे हमारे बच्चे सूत समेत वापस लौटा देंगे इसलिये दोस्तों माता – पिता का दिल भूले से भी मत दुखाना ।

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