जम्बुद्वीप के भरत क्षेत्र में भविष्य काल में होने वाले तीर्थंकरों के पूर्व भव का नाम व भविष्य का नाम

जम्बुद्वीप के भरत क्षेत्र में भविष्य काल में होने वाले तीर्थंकरों के पूर्व भव का नाम व भविष्य का नाम

१. श्रेणिक राजा का जीव, प्रथम नरक से आकर पहले ‘ श्री पद्मनाभजी ‘ होंगे।

२. श्री महावीर स्वामी जी के काका सुपार्श्व जी का जीव, देवलोक से आकर दुसरे ‘ श्री सुरदेव जी ‘ होंगे ।

३. कोणिक राजा का पुत्र उदाइ राजा का जीव , देवलोक से आकर तीसरे ‘ श्री सुपार्श्व जी ‘ होंगे।

४. पोट्टिला अनगार का जीव, तीसरे देवलोक से आकर चौथे ‘ श्री स्वयंप्रभ जी ‘ होंगे।

५. दृढ युद्ध श्रावक का जीव, पांचवे देवलोक से आकर पांचवें ‘ श्री सर्वानुभूति जी ‘ होंगे ।

६. कार्तिक सेठ का जीव, प्रथम देवलोक से आकर छठे ‘ श्री देवश्रुती जी ‘ होंगे ।

७. शंख श्रावक का जीव, देवलोक से आकर सातवें ‘ श्री उदयनाथ जी ‘ होंगे ।

८. आणन्द श्रावक का जीव, देवलोक से आकर आठवें ‘ श्री पेढ़ाल जी ‘ होंगे।

९. सुनंद श्रावक का जीव, देवलोक से आकर नववें ‘ श्री पोट्टिल जी ‘ होंगे।

१०. पोखली श्रावक के धर्म भाई शतक श्रावक का जीव, देवलोक से आकर दसवें ‘ श्री सतक जी ‘ होंगे।

११. श्री कृष्ण जी की माता देवकी रानी का जीव, नरक से आकर ग्यारहवें ‘ श्री मुनिसुव्रत जी ‘ होंगे।

१२. श्री कृष्ण जी का जीव, तीसरी नरक से आकर बारहवें ‘ श्री अमम जी ‘ होंगे।

१३. सुजेष्टा जी का पुत्र, सत्यकी रूद्र का जीव, नरक से आकर तेरहवें ‘ श्री नि:कषाय जी ‘ होंगे।

१४. श्री कृष्ण जी के भ्राता बलभद्र जी का जीव, पांचवें देवलोक से आकर चौदहवें ‘ श्री निष्पुलाक जी ‘ होंगे।

१५. राजगृही के धन्ना सार्थवाही की पत्नी सुलसा श्राविका का जीव, देवलोक से आकर पन्द्रहवें ‘ श्री निर्मम जी ‘ होंगे।

१६. बलभद्र जी की माता रोहिणी का जीव, देवलोक से आकर सोलहवें ‘ श्री चित्रगुप्त जी होंगे।

१७. कोलपाक बहराने वाली रेवती गाथा पत्नी का जीव, देवलोक से आकर सत्रहवें ‘ श्री समाधिनाथ जी ‘ होंगे।

१८. सततिलक श्रावक का जीव, देवलोक से आकर अठारहवें ‘ श्री संवरनाथ जी ‘ होंगे।

१९. द्वारका दाहक द्वीपायन ऋषि का जीव, देवलोक से आकर उन्नीसवें ‘ श्री यशोधर जी ‘ होंगे।

२०. करण का जीव, देवलोक से आकर बीसवें ‘ श्री विजय जी ‘ होंगे।

२१. निर्ग्रन्थ पुत्र मल्लनारद का जीव, देवलोक से आकर इक्कीसवें ‘ श्री मल्यदेव जी ‘ होंगे।

२२. अम्बड़ श्रावक का जीव, देवलोक से आकर बाइसवें ‘ श्री देवचन्द्र जी ‘ होंगे।

२३. अमर का जीव, देवलोक से आकर तेइसवें ‘ श्री अनन्तवीर्य जी ‘ होंगे।

२४. सतकजी का जीव, सर्वार्थसिद्ध विमान से आकर चौबीसवें ‘ श्री भद्रंकर जी ‘ होंगे।

 

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