चुटकुला तो नही है पर यह पढने के बाद एक प्यारी सी स्माइल जरूर आएगी

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1) कितना मुश्किल है, जिंदगी का सफर…, भगवान मरने नही देते और इंसान जीने नही देते।

2) खून जिसका भी हो रंग सबका एक ही है, कैसे पता लगाया जाये बेगाना कौन है और अपना कौन है।

3) चलो माना दुनियाँ बहुत बुरी है, लेकिन तुम तो अच्छे बनो तुम्हे किसने रोका है….!!

4) जो जैसा है, उसे वैसा ही अपना लो…!! रिश्ते निभाने आसान हो जायेंगे..,

5) “दुआ” कभी खाली नही जाती… बस लोग ईन्तजार नही करते..!!

6 ) हे स्वार्थ तेरा शुक्रिया… एक तू ही है , जिसने लोगो को आपस में जोड़ कर रख रखा है.

7) वक़्त की मार तो देख… दुनिया जीतने वाले सिकंदर का देश … दिवालिया हो गया….

8) ”’ गिरना भी अच्छा है,औकात का पता चलता है ,, ”’ बढ़ते हैं जब हाथ उठाने को, अपनों का पता चलता है ,,

9) बहुत देखा जीवन में समझदार बन कर, पर ख़ुशी हमेशा पागल बनने पर ही मिलती है…!!!

10) गलती जिंदगी का एक पन्ना है; परन्तु ‘रिश्ते’ पूरी किताब हैं। ज़रूरत पड़ने पर ‘गलती’ का पन्ना फाड़ देना लेकिन एक पन्ने के लिए पूरी किताब मत फाड़ देना

11) जिन्दगी के सफर से, बस इतना ही सबक सीखा है । सहारा कोई कोई ही देता है, धक्का देने को हर शख्स तैयार बैठा है…!!

12) इंसान को उस जगह हमेशा ‘खामोश’ रहना चाहिये – जहां . . . ‘दो कौड़ी’ के लोग अपनी ‘हैसियत’ के गुण गाते हों…..

13) धर्म से कर्म इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि धर्म करके भगवान से मांगना पडता है, जब कि कर्म करने से भगवान को खुद ही देना पडता है॥

14) कोई भी ईन्सान इतना अमीर नही होता की वो अपना भुतकाल खरीद सके … और… कोई इतना गरीब नही होता की वो अपना भविष्य न बदल सके.

15) इंसान को अपनी औकात भूलने की बीमारी है और कुदरत के पास उसे याद दिलाने की अचूक दवा…

16) छोटे छोटे कदम मीलों का सफर तय कर सकते हैं।

17) ‘सब्र’ और ‘सच्चाई’ एक ऐसी सवारी है…..जो अपने सवार को कभी गिरने नहीं देती….. ना किसी के कदमो में…और ना किसी की नज़रों में..!!

18) अच्छे के साथ अच्छे रहे…लेकिन बुरे के साथ बुरे नहीं बने… “क्योंकि” पानी से खून साफ कर सकते है लेकिन खून से खून नहीं

19)अगर आपने अपने बचपन में कुछ
“बेवकूफियां” नहीं की तो यकीन मानिए…
बुढ़ापे में आपके पास “हसने” के लिए
कोई वजह नहीं होगी..

20) जाने क्या रिश्ता होता है ‘टहनी से उस पक्षी का ‘जिसके उड़ जाने पर भी वह कुछ देर तक काँपती रहती है!

 

पत्नी : मेरी शराफत देखो ..

पत्नी : मेरी शराफत देखो ..
मैंने तुम्हे देखे बिगर ही शादी कर ली …
पती : और मेरी शराफत देखो….
मैंने देख कर भी इन्कार नहीं किया….
😝😝😝😝😝😝
……………………………………

पत्नी : फोन पे इतनी धीमी आवाज में किससे बात कर रहे हो ?

पती : बहन है..!

पत्नी : तो फिर इतनी धीमी आवाज में किस लिए?

पती : तेरी है, इस लिए ..
😰😰😂😂😂

……………………………………

पत्नी : सुनो जी, अगर आपके बाल इसी रफ़्तार से झड़ते रहे तो मैं तुम्हे तलाक़ दे दूँगी!!

पती: या अल्लहा, और मैं पागल इनको बचानेकी कोशिश कर रहा था…..
😝😱😏

……………………………………

पत्नी : तुम सारी दुनिया ढूँढो, तो भी मुझ जैसी दूसरी नहीं मिलेगी …..

पती : तुम क्या समझती हो? मैं दूसरी भी तुम्हारी जैसी ढुँढूगा ..! हद्द हो गयी..
😛😜😂😝😛

……………………………………

टॅक्सीवाला :-
“साहब, ब्रेक फेल हो गई है, गाड़ी रूकती ही नहीं है, क्या करू?”

सवारी :- “पहले तू मीटर बंद कर दे.!”

😂😂😝😂😂

…………………………………

भिकारी (कार में बैठी सेठानी से):
“मैडम, १० रूपया दे दो.!”

मैडम ने पैसे दे दिये… . . भिकारी जाने लगा तभी .. . .

मैडम बोली :- बाबा, दुआ तो देते जाओ ..!

भिकारी :- BMW में तो बैठी हो मोटी, अब क्या …रॉकेट में बैठेगी .!!”
😆😆😆😆
……………………………………
Wife और husband दुकान से निकले
तो एक फ़कीर ने कहा :-
“ऐ हुस्न की मल्लिका,
अंधे को 5 रूपए दे दे …..”

Husband ने Wife की तरफ देखा
और बोला :-
” दे दे ,
वाकई अँधा है….!!!!

😛😝😜😆😳😜😳😜

पति – राजा दशरथ का नाम सुना है।
पत्नी – हाँ सुना है।
पति – उनकी तीन पत्निया थी।
पत्नी – हाँ पता है।
पति – तो मैं दो शादी और कर सकता हूँ?
पत्नी – द्रोपदी का नाम सुना है।
पति – रहने दे पगली तू भी दिल पे ले लेती है।

😜😳😜😳😜😳😜

Q: ‘Arranged Marriages में तलाक कम क्यों होते हैं?’

Ans: ‘जो अपनी मर्जी से शादी तक ना कर पाए वो तलाक क्या खाक लेंगे?’😛😜😜😜 👌👌👌👌👌😜😜

पत्नी : सुनो जी ….
“अगर मैं मर गई तो ….
तुस्सी कितने दिनों बाद ….
दूजा ब्याह करोगे ” …. ??

पति : ….
“महंगाई का जमाना है …
कोशिश तो यही करूँगा
की …. श्राद्ध के साथ ही
रिसेप्शन ….
एडजस्ट हो जाये ” … !!

😂😂😂😜😜😜 ⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳

मारवाड़ी मन्दिर में -भगवान अगर आप मुझे
1000 रूपये देंगे 500 रूपये
आपके श्री चरणों में अर्पित कर
दूंगा

थोड़ी दूर पे उसे 500 का नोट मिला

मारवाड़ी-
प्रभु इतना भी भरोसा नही था ”
“जो पहले ही काट लिया”

 

भाई चौबे जी की प्रसिध्द हास्य कविता

भारतीय रेल की जनरल बोगी
पता नहीं आपने भोगी कि नहीं भोगी……….??
एक बार हम भी कर रहे थे यात्रा
प्लेटफार्म पर देखकर सवारियों की मात्रा
हमारे पसीने छूटने लगे
हम झोला उठाकर घर की ओर फूटने लगे
तभी एक कुली आया
मुस्कुरा कर बोला – ‘अन्दर जाओगे ?’
हमने कहा – ‘तुम पहुँचाओगे !’
वो बोला – बड़े-बड़े पार्सल पहुँचाए हैं
आपको भी पहुँचा दूंगा
मगर रुपये पूरे पचास लूँगा.
हमने कहा – पचास रुपैया ?
वो बोला – हाँ भैया
दो रुपये आपके बाकी सामान के
हमने कहा – सामान नहीं है, अकेले हम हैं
वो बोला – बाबूजी, आप किस सामान से कम
हैं !
भीड़ देख रहे हैं, कंधे पर उठाना पड़ेगा,
धक्का देकर अन्दर पहुँचाना पड़ेगा
वैसे तो हमारे लिए बाएँ हाथ का खेल है
मगर आपके लिए दाँया हाथ भी लगाना पड़ेगा
मंजूर हो तो बताओ
हमने कहा – देखा जायेगा, तुम उठाओ
कुली ने बजरंगबली का नारा लगाया
और पूरी ताकत लगाकर हमें जैसे ही उठाया
कि खुद बैठ गया
दूसरी बार कोशिश की तो लेट गया
बोला – बाबूजी पचास रुपये तो कम हैं
हमें क्या मालूम था कि आप आदमी नहीं, बम हैं
भगवान ही आपको उठा सकता है
हम क्या खाकर उठाएंगे
आपको उठाते-उठाते खुद दुनिया से उठ जायेंगे !
हमने कहा – बहाने मत बनाओ
जब ठेका लिया है तो उठाओ.
कुली ने अपने चार साथियों को बुलाया
और पता नहीं आँखों ही आँखों मैं क्या समझाया
कि चारों ने लपक कर हमें उठाया
और हवा मैं झुला कर ऐसे निशाने से
अन्दर फेंका कि हम जैसे ही
खिड़की से अन्दर पहुँचे
दो यात्री हम से टकराकर
दूसरी खिड़की से बाहर !
जाते-जाते पहला बोला – बधाई !
दूसरा बोला – सर्कस मैं काम करते
हो क्या भाई ?
अब जरा डिब्बे के अन्दर झाँकिए श्रीमान
भगवान जाने
डिब्बा था या हल्दी घाटी का मैदान
लोग लेटे थे, बैठे थे, खड़े थे
कुछ ऐसे थे जो न बैठे थे न खड़े थे, सिर्फ थे
कुछ हनुमान जी के वंशज
एक दूसरे के कंधे पर चढ़े थे
एक कन्धा खाली पड़ा था
शायद हमारे लिए रखा था
हम उस पर चढ़ने लगे
तो कंधे के स्वामी बिगाड़ने लगे बोले – किधर?
हमने कहा – आपके कंधे पर !
वे बोले – दया आती है तुम जैसे अंधे पर
देखते नहीं मैं खुद दूसरे के कंधे पर बैठा हूँ
उन्होंने अपने कन्धा हिला दिया
हम पुनः धरती पर लौट आए
सामने बैठे एक गंजे यात्री से गिड़गिडाये

भाई साहब क्या लफड़ा है ?
वो बोला – बेचारा आठ घंटे से एक टाँग पर
खड़ा
और खड़े खड़े इस हालत मैं पहुँच गया कि अब
पड़ा है
आपके हाथ लगते ही ऊपर पहुँच जायेगा
इस भीड़ में ज़मानत करने क्या तुम्हारा बाप
आयेगा ?
एक नौजवान खिड़की से अन्दर आने लगा
तो पूरे डिब्बा मिल कर उसे बाहर धकियाने
लगा
नौजवान बोला – भाइयों, भाइयों
सिर्फ खड़े रहने की जगह चाहिए
एक अन्दर वाला बोला – क्या ?
खड़े रहने की जगह चाहिए तो प्लेटफोर्म पर
खड़े हो जाइये
जिंदगी भर खड़े रहिये कोई हटाये तो कहिये
जिसे देखो घुसा चला आ रहा है
रेल का डिब्बा साला जेल हुआ जा रहा है !
इतना सुनते ही एक अपराधी चिल्लाया

गरम बूँदें
तो वे सर उठा कर चिल्लाये – कौन है, कौन है
साला पानी गिरा कर मौन है
दीखता नहीं नीचे तुम्हारा बाप बैठा है !
क्षमा करना बड़े भाई पानी नहीं है
हमारा छः महीने का बच्चा लेटा है
कृपया माफ़ कर दीजिये
और अपना मुँह भी नीचे कर लीजिये
वरना बच्चे का क्या भरोसा !
क्या मालूम अगली बार उसने
आपको क्या परोसा !!
एक साहब बहादुर बैठे थे सपरिवार
हमने पुछा कहाँ जा रहे हैं सरकार ?
वे झल्लाकर बोले जहन्नुम में !
हमने पूछ लिया – विथ फॅमिली ?
वे बोले आपको भी मजाक करने के लिए
यही जगह मिली ?
अचानक डिब्बे में बड़ी जोर का हल्ला हुआ
एक सज्जन दहाड़ मार कर चिल्लाये –
पकड़ो-पकड़ो जाने न पाए
हमने पुछा क्या हुआ, क्या हुआ ?
वे बोले – हाय-हाय, मेरा बटुआ किसी ने भीड़
में मार दिया
पूरे तीन सौ रुपये से उतार दिया टिकट
भी उसी में था !
कोई बोला – रहने दो यार भूमिका मत बनाओ
टिकेट न लिया हो तो हाथ मिलाओ
हमने भी नहीं लिया है गर आप इस तरह
चिल्लायेंगे
तो आपके साथ क्या हम नहीं पकड़ लिए
जायेंगे ….
वे सज्जन रोकर बोले – नहीं भाई साहब
मैं झूठ नहीं बोलता मैं एक टीचर हूँ ….
कोई बोला – तभी तो झूठ है टीचर के पास और
बटुआ ?
इससे अच्छा मजाक इतिहास मैं आज तक
नहीं हुआ !
टीचर बोला – कैसा इतिहास मेरा विषय
तो भूगोल है
तभी एक विद्यार्थी चिल्लाया –
बेटा इसलिए तुम्हारा बटुआ गोल है !
बाहर से आवाज आई – ‘गरम समोसे वाला’
अन्दर से फ़ौरन बोले एक लाला –
दो हमको भी देना भाई
सुनते ही ललाइन ने डाँट लगायी – बड़े चटोरे
हो !क्या पाँच साल के छोरे हो ?
इतनी गर्मी मैं खाओगे ?
फिर पानी को तो नहीं चिल्लाओगे ?
अभी मुँह मैं आ रहा है समोसे खाते ही आँखों में आ
जायेगा
इस भीड़ में पानी क्या रेल मंत्री दे जायेगा ?
तभी डिब्बे में हुआ हल्का उजाला
किसी ने जुमला उछाला ये किसने बीड़ी जलाई
है ?
कोई बोला – बीड़ी नहीं है स्वागत करो
डिब्बे में पहली बार बिजली आई है
दूसरा बोला – पंखे कहाँ हैं ?
उत्तर मिला – जहाँ नहीं होने चाहिए वहाँ हैं
पंखों पर आपको क्या आपत्ति है ?
जानते नहीं रेल हमारी राष्ट्रीय संपत्ति है
कोई राष्ट्रीय चोर हमें घिस्सा दे गया है
संपत्ति में से अपना हिस्सा ले गया है
आपको लेना हो आप भी ले जाओ
मगर जेब में जो बल्ब रख लिए हैं
उनमें से एकाध तो हमको दे जाओ !
अचानक डिब्बे में एक विस्फोट हुआ
हलाकि यह बम नहीं था
मगर किसी बम से कम भी नहीं था
यह हमारा पेट था उसका हमारे लिए संकेत
था
कि जाओ बहुत भारी हो रहे हो हलके हो जाओ
हमने सोचा डिब्बे की भीड़ को देखते हुए
बाथरूम कम से कम दो किलोमीटर दूर है
ऐसे में कुछ हो जाये तो किसी का क्या कसूर है
इसिलए रिस्क नहीं लेना चाहिए
अपना पडोसी उठे उससे पहले अपने को चल
देना चाहिए
सो हमने भीड़ में रेंगना शुरू किया
पूरे दो घंटे में पहुँच पाए
बाथरूम का दरवाजा खटखटाया तो भीतर से
एक सिर बाहर आया
बोला – क्या चाहिए ?
हमने कहा – बाहर तो आजा भैये हमें जाना है
वो बोला – किस किस को निकालोगे ? अन्दर
बारह खड़े हैं
हमने कहा – भाई साहब हम बहुत मुश्किल में
पड़े हैं
मामला बिगड़ गया तो बंदा कहाँ जायेगा ?
वो बला – क्यूँ आपके कंधे
पे जो झोला टँगा है
वो किस दिन काम में आयेगा …
इतने में लाइट चली गयी
बाथरूम वाला वापस अन्दर जा चुका था
हमारा झोला कंधे से गायब हो चुका था
कोई अँधेरे का लाभ उठाकर अपने काम में
ला चुका था
अचानक गाड़ी बड़ी जोर से हिली
एक यात्री ख़ुशी के मरे चिल्लाया – ‘अरे चली,
चली’
कोई बोला – जय बजरंग बली, कोई बोला –
या अली
हमने कहा – काहे के अली और काहे के बली !
गाड़ी तो बगल वाली जा रही है
और तुमको अपनी चलती नजर आ रही है ?
प्यारे ! सब नज़र का धोखा है
दरअसल ये रेलगाडी नहीं हमारी ज़िन्दगी है
और हमारी ज़िन्दगी में धोखे के अलावा और
क्या होता है……, ?????