⭕🔴⭕मन की बात⭕🔴⭕

⭕🔴⭕मन की बात⭕🔴⭕

🔴 सैंकडो मील दूर बैठे किसी इंसान के Last seen at…की हमें खबर है…!
मगर अपने ही घर के किसी कमरे में बैठे बूढे पिताजी को कब देखा था याद नहीं..!! 🔴

🔴 हमारे माता-पिता कई बार हमें करीब से निहार कर अपने कमरे में चले जाते है…! और हम अपने स्मार्ट फ़ोन में नजरें गडाए उन्हें नजर अंदाज कर देते है…!! 🔴

🔴 हमें मालूम है कि हमारा फलाँ दोस्त इस समय typing kar raha hai…! मगर ये नहीं पता कि बाज़ू वाले कमरे मे बेटा पढाई कर भी रहा है या नहीं…!! 🔴

🔴 हम सुबह उठते ही अपने फोन पर सैंकडो लोगों को Good Morning Wish करते हैं..! मगर चाय का प्याला देने आई बीवी को I Care for You कहना भूल जाते है…!! 🔴

🔴 पार्क की बैंच पर अपने बीवी बच्चों के साथ बैठ कर; ठहाके कब लगाए थे–याद नहीं…! WhatsApp पर Joke Share करके तो हम रोज हंसा करते हैं…!! 🔴

🔴 बीवी कितना ही अच्छा और ताज़ा खाना परोस दे हम तारीफ़ नही करते…! जबकि किसी दोस्त के महीनो पुराने; बासी; Forwarded मैसेज पर हम तुरंत कमैंट कर देते है…!! 👍👌

🔴 हमें अपने परिजनो के लिए उनकी पसंद की कोई चीज पास की दुकान से लाने में आलस महसूस करते हैं…! जबकि PlayStore से कोई App ढूँढने में हम घंटो बिता देते हैं…!! 🔴

🔴 आज हमारे पास Virtual Friends की विशाल दुनिया है…! जबकि वास्तविक दोस्तो का अभाव है…!! 🔴

🔴 हम FaceBook Twitter पर अपने Followers या Likes को देखकर फूले नहीं समाते…! जबकि सच तो ये है; कि हमारे खुद के बच्चे तक हमे Like या Follow नहीं करते…!! 🔴

🔵 आज हम Social दिखने के चक्कर में Social Media के मकड़ज़ाल में इस कद्र उलझ गए हैं; कि अपने Family से Familiar होने का वक्त नहीं; या यूं कहूं… हम जमीनीं रिश्तों को भूला बैठे है…!! 🔵

🔵 हो सकता है मन की ये बातें
मेरी तरह आप के मन को भी झकझोर दे…!
तो आत्ममंथन करना….!! 🔵

लूट मचाने के लिए दवा कंपनियाँ किस हद तक गिर सकती आप अनुमान भी नहीं लगा सकते ,

लूट मचाने के लिए दवा कंपनियाँ किस हद तक गिर सकती आप अनुमान भी नहीं लगा सकते ,

अभी कुछ समय पूर्व स्पेन मे शुगर की दवा बेचने वाली बड़ी-बड़ी
कंपनियो की एक बैठक हुई है ,दवाओ की बिक्री बढ़ाने के लिए
एक सुझाव दिया गया है कि अगर शरीर मे सामान्य शुगर का
मानक 120 से कम कर 100 कर दिया जाये तो शुगर की दवाओं
की बिक्री 40 % तक बढ़ जाएगी ।

आपकी जानकारी के लिए बता दूँ बहुत समय पूर्व शरीर मे सामान्य
शुगर का मानक 160 था दवाओ की बिक्री बढ़ाने के लिए ही
इसे कम करते-करते 120 तक लाया गया है जिसे भविष्य मे 100
तक करने की संभावना है । ये एलोपेथी दवा कंपनियाँ लूटने के लिए
किस स्तर तक गिर सकती है ये इसका जीता जागता उदाहरण है ।

आज मैडीकल साईंस के अनुसार शरीर मे सामान्य शुगर का मानक 80 से 120 है अब मान लो दवा कंपनियो के साथ मिलीभगत कर इन्होने कुछ फर्जी शोध की आड़ मे नया मानक 70 से 100 तय कर दिया, अब अच्छा भला व्यक्ति शुगर टेस्ट करवाये और शुगर का सतर 100 से 110 के बीच आए ,तो डाक्टर आपको शुगर का रोगी घोषित कर देगा,

भय के कारण आप शुगर की एलोपेथी दवाएं लेना शुरू कर देंगे , अब शुगर तो पहले से सामान्य थी आपने जो भय के कारण शुगर कम करने की दवा ली तो उल्टा शरीर मे और कमजोरी महसूस होने लगेगी , और आप फिर इस अंधी खाई मे गिरते चले जाएंगे । और मान लो आप जैसे 2 -3 करोड़ लोग भी इस
साजिश का शिकार हुए तो ये एलोपेथी दवा कंपनियाँ लाखो करोड़ का व्यापार कर डालेंगी ।

बलत्कार के कानून के इतिहास पर एक नजर डाले ।

बलत्कार के कानून के इतिहास पर एक नजर डाले ।
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मित्रो जहां अंग्रेज़ो ने एक तरफ आर्थिक रूप से कारीगरों को लूटा,किसानो को लूटा,व्यपरियों को लूटा इसके अतिरिक्त और बड़े बुरे काम किये ,जिस-जिस गाँव और शहर को लूटने के लिए अंग्रेज़ जाते थे वहाँ अगर उन्हे हमारे देश की माताएँ -बहने जो शरीर मे सुंदर है मिल जाए तो अंगेज़ उन्हे बिना बलत्कार किये छोड़ते नहीं थे ,अंग्रेज़ो ने हमारा धन तो लूटा ही माँ-बहन बेटियों की इज्जत भी लूटी ।

अंग्रेज़ो का हमारी माँ-बहन बेटियों के साथ बर्ताव कैसा होता था ? पढ़कर खून खौल जाएगा ,कोई सुंदर महिला अंग्रेज़ो को दिखाई दे जाए तो उसे सारे आम नंगा करते थे फिर उसके स्तन के अग्र भाग को लोहे के चिमटे से दबाते थे और तब तक दबाते थे जब तक खून ना निकल आए और इस पर अंग्रेज़ हँसते थे ,और और वो माँ-बहन-बेटी चीखती चिलाती थी जब वो बेढल होकर गिर पड़ती थी फिर अंग्रेज़ उसके साथ बलात्कार करते थे और सामूहिक बलत्कार करते थे,और बाद मे उसकी गर्दन काट देते थे और उसे फेंक कर चले जाते थे ,

इससे अंग्रेज़ो को एक तो अपनी वासना शांत करने रास्ता खुलता ही था उनको अत्याचार और हैवानियत दिखाने का भी रास्ता खुलता था, तो होता ये था किसानों के घरो से शिकायत आती थी मेरी ,बहन के साथ बलत्कार हुआ मेरी बेटी के साथ बलत्कार हुआ ये शिकायते लेकर किसान अंग्रेज़ अधिकारियों के पास जाते थे ।

अंग्रेज़ अधिकारियों के साथ समस्या क्या होती थी कि मान लो किसी उच्च अधिकारी को किसी किसान ने शिकायत की ,और बलत्कार किसी निचले सतर के अधिकारी ने किया हो तो उच्च अधिकारी अपने से निचले अधिकारी को बचाने मे लग जाता था , उसको बचाने के लिए फिर अंग्रेज़ो ने एक रास्ता निकाला और फिर उस रास्ते को कानून मे बदल दिया ।

बलत्कार के खिलाफ अंग्रेज़ो ने जो पहला कानून बनाया तो उसमे व्यवस्था ये कर दी कि मान लो अगर किसी माँ-बहन-बेटी के साथ बलत्कार हुआ है तो उस माँ बहन बेटी को अंग्रेज़ो की अदालत मे आकर सिद्ध करना होगा कि उसके साथ बलत्कार हुआ है ,जिस अंग्रेज़ ने बलत्कार किया है उसको कुछ सिद्ध नहीं करना पड़ेगा , और जब तक सिद्ध नहीं होगा ,उस अंग्रेज़ को अपराधी नहीं माना जाएगा । तो इस प्रकार का कानून बना दिया अंग्रेज़ो ने ।

ये कानून बनते ही इस देश मे बलत्कार की बाढ़ आ गई ,हर गाँव मे हर शहर मे माताओं बहनो की इज्जत से अंग्रेज़ो ने खेलना शुरू किया ,क्योंकि अंग्रेज़ो को मालूम था कोई भी माँ बहन बेटी अदालत मे ये सिद्ध कर ही नहीं सकती की उसके ऊपर बलत्कार हुआ है कानून की गलियाँ ही इतनी टेढ़ी बनाई गई की किसी भी माँ बहन बेटी को ये सिद्ध करना ही बिलकुल असंभव हो जाए की उसके ऊपर बलत्कार हुआ है ,

आप सोचिए मित्रो इससे बढ़ा अत्याचार क्या हो सकता है ? कि जिसके ऊपर अत्याचार हुआ उसे सिद्ध करना है कि उसके ऊपर अत्याचार हुआ जिसने अत्याचार किया उसे कुछ भी सिद्ध नहीं करना है कि इसने अत्याचार किया ।
परिणाम ये होता था कि अगर 100 अंग्रेज़ बलत्कार करते थे तो उनमे से मात्र 2-3 के के खिलाफ ही साबित हो पाता था और उनको ही सजा मिल पाती थी
97-98 अंग्रेज़ बिलकुल छूट जाते थे ।

कई अंग्रेज़ अधिकारियों की निजी डायरी के दस्तावेज़ मौजूद है ,एक अंग्रेज़ अधिकारी था जिसका नाम था कर्नल नील , उसकी डायरी के कुछ पन्ने है उसमे वो लिख रहा है की जहां -जहां मेरी नियुक्ति हुई कोई दिन ऐसा नहीं गया जब मैंने किसी माँ ,बहन बेटी से बलात्कार नहीं किया हो । ये नील की डायरी के अपने लिखे हुए शब्द है आप सोचिए कितने हैवानियत भरे थे ये अंग्रेज़ ।

मित्रो ये सब अंग्रेज़ो ने किया कानून की मदद से किया , बलत्कार का कानून ही ऐसा बना दिया की कोई भी माँ बहन-बेटी सिद्ध ही ना कर सके और किसी भी अंग्रेज़ को सजा ही न हो ,और यही कानून मित्रो आजादी मिलने के 15 अगस्त 1947 के बाद जला देना चाहिए था खत्म कर देना चाहिए ,लेकिन बहुत अफसोस की बात है आजादी मिलने 69 वर्ष बाद आज भी ये कानून ऐसे ही चल रहा है ।

आज भी माताओं,बहनो बेटियों के साथ बलत्कार हो रहे है और उन्हे अदालतों मे सिद्ध करना पड़ रहा है की उनके खिलाफ अत्याचार हुआ है अत्याचार करने वाले को कुछ सिद्ध नहीं करना पड़ रहा । आप जानते है की किसी भी सभ्य माँ बहन बेटी को अगर आप पूछे की उसके साथ बलत्कार हुआ है कैसे हुआ है ,? तो वो अगर थोड़ी भी सभ्य सुसंस्कृत है वो उत्तर नहीं दे सकती है और उनके मौन का फायदा उठा कर ये कानून हमारे देश की करोड़ो माँ बहन बेटियों से खिलवाड़ कर रहा है ,

बहुत दुख है ये कहते हुए कि बलत्कार के 100 मुकदमे अगर पुलिस के यहाँ रजिस्टर होते है मात्र 5 मे ही आरोपी को सजा मिल पाती है 95 अपराधो मे अपराधी छूट कर बरी हो जाते है क्योंकि कानून अंग्रेज़ो के समय का बनाया हुआ है ।

अब बलत्कार के कानून हो ,चोरी डैकेती के कानून हो, पुलिस के कानून हो,प्रशासन के कानून हो टैक्स के कानून हो ,शिक्षा व्यवस्था के कानून हो या जंगलो की सुरक्षा के कानून हो , सब के सब अंग्रेज़ो के बनाये हुए ,सब के सब उनके चलाये हुए तो आप कैसे आशा कर सकते है की भारत के लोगो को इन कानूनों से न्याय मिल जाएगा ??

कितने हैवानियत भरे थे ये अंग्रेज़ ??
एक बार जरूर देखे ।

LINK https://www.youtube.com/watch?v=26MzkVTkSko

ईसाईवाद के दुराग्रह में फंसी कांग्रेस पार्टी :-

ईसाईवाद के दुराग्रह में फंसी कांग्रेस पार्टी :- कांग्रेस की बागडोर सोनिया गाँधी के पास जाने के बाद कांग्रेस पार्टी का ईसाईकरण बहुत ही तीव्र गति से हुआ | दस वर्षों के इन कांग्रेसी शासन में सोनिया गाधी ने कांग्रेस पार्टी का ही नहीं भारत के जितने भी लोकतान्त्रिक स्तम्भ है सबका इसाईकरण किया | कांग्रेस पार्टी में आबादी से कई गुना ज्यादा पद ईसाइयों को आबंटित किया | मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल में भी अनुपातिक रूप से ज्यादा पद ईसाईयों को दिया गया | उसमे भी जो सबसे महत्वपूर्ण मंत्रालय था उसे ईसाईयों को दिया | केरल से लेकर अरुणाचल तक मुख्यमंत्री के रूप में ईसाईयों को तरजीह दिया | हिन्दुओं को वही मंत्रिपद या मुख्यमंत्री पद मिला जहाँ इसे ईसाई विकल्प नहीं मिला | अफसरशाही से लेकर मिडिया तक में ईसाई लॉबी को आगे बढ़ाया गया | भारत में धर्मान्तरण के लिए ईसाई NGO को विदेशों से नियम-कानून को तोड़कर पैसा लेने की छूट मिली | जिसकी ना तो कोई जाँच ना ही कोई हिसाब-किताब की जांच होने दिया गया |

हिन्दू और मुसलमान सोनिया गाँधी के लिए वोट लेने के औजार भर रह गए | आज के कांग्रेस पार्टी और एमआईएम में कोई अंतर नहीं रह गया है | वैश्विक ईसाईवाद के पैसे पर चलने वाले मिडिया ने भी इस कुकर्म में सोनिया गाँधी का भरपूर साथ दिया | जिसने भी सोनिया गाँधी के इस कुकर्म का भांडा फोड़ना चाहा मिडिया ने उसे सांप्रदायिक करार देकर उसका मुंह बंद कर दिया | ईसाईवाद भारत में निर्विरेध चलते रहे इसके लिए मिडिया मोदी सरकार और संघ पर लक्ष्य कर हमला करता आ रहा है | हर घटना के लिए दोषी मोदी और संघ को ठहराया जा रहा है | और ये षड्यंत्र इतना सूक्ष्म है की मूल षड्यंत्रकारी कही दिखाई नहीं दे रहा है | हाल के रोहित बेमुला की आत्महत्या हो या JNU में लगे देशद्रोही नारे हो, मूल तथ्यों को चर्चा से गायब करना और उसके जगह पर एक नया कहानी प्लांट कर देना उसी षड्यंत्र का एक हिस्सा है |

जब भी देश में धर्मांतरण पर बहस होती है, कांग्रेस पार्टी और मिडिया उसके पक्ष में खड़ा हो जाता है और जब घरवापसी की बातें होती हैं तो विरोध में खड़ा हो जाता है | अब ये समझना कोई रॉकेट साइंस नहीं है की धर्मांतरण का लाभार्थी ईसाई समुदाय है जिस कारण कांग्रेस और मिडिया इसके पक्ष में खड़ा हो जाता है | और जब संघ उन परावर्तित अपने भाइयों को मूल धर्म में वापस लाने के लिए घरवापसी का प्रयास करता है तब यही कांग्रेस और मिडिया इसके विरोध में खड़ा हो जाता है | सबसे खतरनाक है भारत में चल रहे इस षड्यंत्र में वामपंथी पार्टियां भी कांग्रेस साथ दे रही हैं |

आज स्थिति यहाँ तक पहुँच चूका है कंग्रेस पार्टी के नेता सार्वजानिक रूप से अपने आपको हिन्दू कहलाने से डरते है | अभी हाल ही में कांग्रेस पार्टी के दो बड़े हिन्दू नेताओं ने कहा मैं हिन्दू नहीं हूँ | हिन्दू कुछ नहीं होता है यह संघियो का बनाया हुआ शब्द है |” दिग्विजय सिंह और मनीष तिवारी कांग्रेस पार्टी के बड़े नेता है बड़े नाम है इन दोनों ने जब सार्वजानिक रूप से ऐसा बयान दिया तो समझा जा सकता है कांग्रेस पार्टी किस दिशा में जा रही है और क्यों जा रही है, सेकुलरिज्म से बढ़ते हुए आज हिन्दू पहचान को नकारने तक कांग्रेस पार्टी पहुँच चूका है तो कही ना कही अपने शीर्ष नेतृत्व की चाटुकारिता भी एक बहुत बड़ा कारण होगा | और शीर्ष नेतृत्व की चुप्पी बताती है की वे अपने नेताओं से क्या चाहते है |

बड़ी चालाकी से ईसाई मिशनरियों ने वाममपंथियों को मानवाधिकार के नाम पर मोटा पैसा देकर उन्हें अपने पाले में कर लिया है | आमजन तो आज भी कांग्रेस पार्टी को गाँधीनेहरू की पार्टी समझ रहे है | लेकिन पार्टी का इसाईकरण हो चूका है | चूँकि मिडिया घराने में भी मिशनरियों का अकूत पैसा लगा हुआ है इसलिए मिडिया भी जनता से सच छुपा कर देश की आँखों में धुल झोंक रही है |

विजय संवाद

કાળા સફેદ જાડા પાતળા જેવા વાળ તેવો તમારો સ્વભાવ અને ભવિષ્ય

કાળા સફેદ જાડા પાતળા જેવા વાળ તેવો તમારો સ્વભાવ અને ભવિષ્ય

સમુદ્રના શાસ્ત્રમાં મનુષ્યના અંગની રચનાનું ધ્યાન કરી તેમના સ્વભાવ અને ભવિષ્ય વિશે બતાવી ઁશકાય છે કેટલાક લોકો અને અજ્ઞાની ને વાંક હાસ્યાસ્પદ લાગે પરંતુ આ શાસ્ત્ર ને જડમૂળથી નકારાય નહી મનુષ્ય ના ચહેરાને આકર્ષક બનાવવા મા વાળની ભૂમિકા મહત્વની છે આ વાળ મનુષ્ય ની સુંદરતા વધારે છે અને ભવિષ્ય બતાવે છે વાળ ના પ્રકાર પણ હોય છે તો આવો આજે જાણીએ ભવિષ્ય આપના વાળ દ્વારા જોકાંઈ રહેવું હોય તો તર્ક સહીત લખજો

બે મોઢા વાળા વાળ

માથા એક છીદરી મા એક વાળ હોવું શુભ ગણાય છે પણ એક વાળ માથી અનેક શાખા નીકળતી હોય તે વ્યક્તિ અસ્વસ્થ હોય ઓછો તેમજ નિર્યણ લઈ શકતા નથી તેથી તેમને સફળતા મળતી નથી

કાળા વાળ :- જેમના વાળ કાળા હોય છે તેઓ માનસિક રીતે સ્વસ્થ હોય છે। પોતાનું કામ ઈમાનદારીથી પુરુ કરનાર હોય છે

જેમના વાળ નાની ઉંમર મા સફેદ થાય તેઓ માનસિક રીતે નબળા હોય છે

પાતળા વાળ :- જેમના વાળ પાતળા હોય તે લોકોનો સ્વભાવ ઉત્તમ હોય છે આ વ્યક્તિ ઉદાર પ્રેમી દયાળુ શરમાળ અને સંવેદનશીલ હોય છે જાડા વાળ વાળા સ્વસ્થ અને લાંબું આયુષ્ય ધરાવે છે

સામાન્ય વાળ:- સામાન્ય અને સીધા વાળ આત્મરક્ષણ સરળ સ્વભાવ સીધી કાર્યપ્રણાલી સ્પષ્ટવાદિતામા સુચક છે લહેરતા વાળ વિનંતી કલાપ્રેમી સાચા મિત્ર અને દયાળુ હોવાનો સંકેત છે

સુંવાળા વાળ:- કાળા સુંવાળા મુલાયમ આકર્ષક તથા સરળ વાળ સ્ત્રીઓને સૌભાગ્ય સંપત્તિ તથા સ્વાસ્થ પ્રદાન કરે છે કો પીળા લાલ કર્કશ રુક્ષ વીખરાયેલા વાળવાળી સ્ત્રીઓ દુખી કાયમ કહે છે

ભરાવદાર વાળ :- ભરાવદાર વાળા લોકો વિંધ્યાપ્રેમી અધિકારી કે મોટા વેપારી હોઈ શકે જેમના માથામાં એકદમ ઓછાવાળ હોય તે ધનવાન કે એકદમ ગરીબ હોઈ શકે છે

આ બાબત જન્મ જાત વાળ જોડો સંકળાયેલ થે પછી કોઈ તબીબી ઉપાય વાળા વાળ સાથે નહી

 

भारत में गाय की 37 प्रकार की शुद्ध नस्ल पायी जाती है | जिसमें सबसे ज्यादा दूध देने वाली नस्ल निम्न हैं :-

भारत में गाय की 37 प्रकार की शुद्ध नस्ल पायी जाती है | जिसमें सबसे ज्यादा दूध देने वाली नस्ल निम्न हैं :-

1) गिर गाय (सालाना-2000-6000 लीटर दूध, स्थान – सौराष्ट्र , गुजरात)

2) साहिवाल गाय (सालाना-2000-4000 लीटर दूध, स्थान -उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब)

3) लाल सिंधी (सालाना-2000-4000 लीटर दूध, स्थान -उत्पत्ति सिंध में लेकिन अभी पूरे भारत में)

4) राठी (सालाना-1800-3500 लीटर दूध, स्थान-राजस्थान, हरियाणा, पंजाब)

5) थरपार्कर (सालाना-1800-3500 लीटर दूध, स्थान-सिंध, कच्छ, जैसलमेर, जोधपुर)

6) कांक्रेज (सालाना-1500-4000 लीटर दूध, स्थान-उत्तरी गुजरात व राजस्थान)

एक शोधपूर्ण सच्चाई :-

ब्राजील देश ने हमारी देसी गायों का आयात कर अब तक 65 लाख गायों की संख्या कर ली है और इससे भी दोगुनी उन लोंगो ने दूसरे देशों में निर्यात की है | (google पर indian cow in brazil सर्च कर सकते है)

उन लोगों ने हृदय से इन गौवंश (सांडो सहित) की सेवा कर आज औसत में एक गाय से दिनभर में करीब 40 लीटर दूध पाने की शानदार स्थिति बना ली |

अब सुनिए दूसरी बात :-

ब्राजील इस दूध से पाउडर बना कर ऑस्ट्रेलिया, डैनमार्क को निर्यात करता है | जबकि डैनमार्क जैसे देश मे आदमी से अधिक गाय है लेकिन वो अपनी गाय का दूध नहीं पीते ! वहाँ ‘milk is white poison’ वाली बात प्रचलित है |

और तो और ऑस्ट्रेलिया, डैनमार्क आदि देश अपनी जर्सीहोलस्टीन युवान (जिन्हें हम गाय कहते नहीं थकते) के दूध से पाउडर निकाल कर हमारे देश भारत को भेजता है | इस पाउडर को ऑस्ट्रेलिया में उपयोग में लाने पर कड़ा प्रतिबन्ध है | वे सिर्फ ब्राजील के दूध पाउडर को ही उपयोग में लाते हैं |

क्यों ? क्योंकि ऑस्ट्रेलिया, डैनमार्क आदि देशो की गायों का दूध से डायबिटीज़, कैंसर जैसी भयंकर बीमारी फैलती है | आज हमारा भारत डायबिटीज़ व कैंसर की बीमारी की विश्व राजधानी बनता जा रहा है | भारत की प्रत्येक डेयरी में हुए सम्पूर्ण दूध में से फेट (क्रीम-मक्खन) निकालकर उसमे इस आयातित दूषित ऑस्ट्रेलियन, डैनमार्क दूध पाउडर को मिलाकर प्रोसेस किया जाकर थैलियों के माध्यम से हमारी रसोई तक पहुंचाया जाता है |

ये कैसा दुष्चक्र है !!!! भारत की देसी गाय ब्राजील, वहाँ से दूध पाउडर ? ऑस्ट्रेलिया का दूषित दूध पाउडर भारत ? और फिर होता है दवाइयों का आयात |

मित्रों, थैली के दूध का प्रयोग तुरन्त बन्द करो | देसी गाय के दूध को किसी भी कीमत पर प्राप्त कर स्वास्थ्य को बचाओ | वैज्ञानिक भाषा मे देसी गाय के दूध तो A2 कहते है और विदेशी (जर्सी हालेस्टियन) गायों के दूध को A1 कहते है | दोनों के दूध मे क्या अंतर है सैंकड़ों रिसर्च विदेशो मे हो चुकी है |

मित्रों जब आप विदेशी गाय जैसे जर्सी, हाले स्टियन आदि पर ज्यादा रिसर्च करेंगे आपको पता चलेगा की इन्हे सूअर से artificial insemination कर के विकसित किया गया है |

मित्रों आप देसी गाय के दूध का महत्व समझे अन्य लोगो को समझाएँ, विदेशी गाय (पूतना भगवान कृष्ण को मरने आई थी) का दूध ना पीये |

हमारे मूर्ख नीति निर्धारकों ने दूध की मात्रा को गौमाता की उपयोगिता का मापदंड बना दिया | भारतीय संस्कृति का इससे बड़ा अपमान क्या हो सकता था | मित्रों हमने अपनी कमियों को सुधारने की बजाय अपनी गौमाता पर ही कम दूध देने का लांछन लगा दिया | इतिहास गवाह है कि भारत वर्ष में जब तक गौ वास्तव में माता जैसा व्यवहार पाती थी | उसके रख-रखाव, आवास, आहार की उचित व्यवस्था थी, देश में कभी भी दूध का अभाव नहीं रहा |

मित्रों दूध को एक तरफ छोड़ भी दे तो भी गौ माता जीवन के पहले दिन से अंतिम दिन तक गोबर और गौ मूत्र देती है जिससे रसोई गैस का सिलंडर चलता है और गाड़ी भी चलती है विश्वास ना हो तो नीचे दिये गए link पर देखें :-

LINK :-  https://www.youtube.com/watch?v=Y1kq_mm9az8

गौ माता की जय

🌺 गौ कृपा केवलम🌺

🌺 गौ कृपा केवलम🌺

1 गौ माता जीस जगह खडी रहकर आनंद पुर्वक चैन की सांस लेती है। वहा वास्तु दोष समाप्त हो जाते है।

2 गौ माता मे तैतीस कोटी देवी देवताओं का वास है।

3 गौ माता जीस जगह खुशी से रभांने से देवी देवता पुष्प वर्षा करते है।

4 गौ माता के गले मे घंटी जरूर बांधे गाय के गले मे घंटी बजने से गौ आरती होती है।

5 जो व्यक्ति गौ माता की सेवा पुजा करता है। उस पर आने वाली सभी प्रकार की विपदाओं को गौ माता हर लेती है।

6 गौ माता के खुर्र मे नागदेवता का वास होता है। जहा गौ माता विचरण करती है। उस जगह साप बिच्छू नही आते है।

7 गौ माता के गोबर मे लक्ष्मी जी का वास होता है

8 गौ माता के मुत्र मे गंगाजी का वास होता है।

9 गौ माता के गोबर से बने उपलो का रोजाना घर दुकान मंदिर परिसरो पर धुप करने से वातावरण शुद्ध होता सकारात्मक ऊर्जा मिलती है

10 गौ माता के ऐक आख मे सुर्य व दुसरी आख मे चन्द्र देव का वास होता है।

11 गाय इस धरती पर साक्षात देवता है।

12 गौ माता अन्नपूर्णा देवी है कामधेनु है। मनोकामना पूर्ण करने वाली है।

13 गौ माता के दुध मे सुवर्ण तत्व पाया जाता है जो रोगो की क्षमता को कम करता है।

14 गौ माता की पुछ मे हनुमानजी का वास होता है। कीसी व्यक्ति को बुरी नजर हो जाये तो गौ माता की पुछ से झाडा लगाने से नजर उतर जाती है।

15 गौ माता की पीठ पर ऐक उभरा हुआ कुबंड होता है। उस कुबंड मे सुर्य केतु नाडी होती है। रोजाना सुबह आधा घंटा गौ माता की कुबंड हाथ फेरने से रोगो का नाश होता है

16 गौ माता का दुध अमृत है

17 गौ माता धर्म की धुरी है।
गौ माता के बिना धर्म कि कलपना नही कि जा सकती

18 गौ माता जगत जननी है।

19 गौ माता पृथ्वी का रूप है

20 गौ माता सर्वो देवमयी सर्वोवेदमयी है। गौ माता के बिना देवो वेदो की पुजा अधुरी है।

21 ऐक गौ माता को चारा खिलाने से तैतीस कोटी देवीदेवताओ को भोग लग जाता है।

22 गौ माता से ही मनुष्यो के गौत्र की स्थापना हुई है।

23 गौ माता चौदह रत्नो मे ऐक रत्न है।

24 गौ माता साक्षात मा भवानी का रूप है।

25 गौ माता के पंचगव्य के बिना पुजा पाठ हवन सफल नही होते है।

26 गौ माता के दुध घी मख्खन दही गोबर गोमुत्र से बने पंचगव्य हजारो रोगो की दवा है। इसके सेवन से असाध्य रोग मीट जाते है

27 गौ माता को घर पर रखकर सेवा करने वाला सुखी आध्यात्मिक जीवन जीता है। उनकी अकाल मृत्यु नही होती है।

28 तन मन धन से जो मनुष्य गौ सेवा करता है। वो वैतरणी गौ माता की पुछ पकड कर पार करता है। उन्हें गौलोकधाम मे वास मीलता है

28 गौ माता के गोबर से इधंन तैयार होता है।

29 गौ माता सभी देवी देवताओं मनुष्यो की आराध्य है इष्ट देव है।

30 साकेत स्वर्ग इन्द्र लोक से भी उच्चा गौ लोक धाम है।

31 गौ माता के बिना संसार की रचना अधुरी है।

32 गौ माता मे दिव्य शक्तिया होने से संसार का संतुलन बना रहता है।

33 गाय माता के गौवंशो से भुमी को जोत कर की गई खेती सर्वश्रेष्ट खेती होती है

34 गौ माता जीवन भर दुध पिलाने वाली माता है। गौ माता को जननी से भी उच्चा दर्जा दिया गया है।

35 जंहा गौ माता निवास करती है। वह स्थान तिर्थ धाम बन जाता है।

36 गौ माता कि सेवा परिक्रमा करने से सभी तिर्थो के पुण्यो का लाभ मीलता है।

37 जीस व्यक्ति के भाग्य की रेखा सोई हुई हो तो वो व्यक्ति अपनी हथेली मे गुड को रखकर गौ माता को जीभ से चटाये गौ माता की जीभ हथेली पर रखे गुड को चाटने से व्यक्ति की सोई हुई भाग्य रेखा खुल जाती है।

38 गौ माता के चारो चरणो के बीच से निकल कर परिक्रमा करने से इंसान भय मुक्त हो जाता है।

39 गाय माता आनंद पुर्वक सासें लेती है । छोडती है। वहा से नकारात्मक ऊर्जा भाग जाती है। सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है। वातावरण शुद्ध होता है

40 गौ माता के गर्भ से ही महान विद्वान धर्म रक्षक गौ कर्ण जी महाराज पैदा हुए थे

41 गौ माता की सेवा के लिए ही इस धरा पर देवी देवताओं ने अवतार लीये है।

42 जब गौ माता बछडे को जन्म देती तब पहला दुध बांज स्त्री को पिलाने से उनका बांजपन मीट जाता है।

43 स्वस्थ गौ माता का गौ मुत्र को रोजाना दो तोला सात पट कपडे मे छानकर सेवन करने से सारे रोग मीट जाते है

44 गौ माता वात्सल्य भरी निगाहों से जीसे भी देखती है। उनके उपर गौकृपा हो जाती है

45 गाय इस संसार का प्राण है।

46 काली गाय की पुजा करने से नोह ग्रह शांत रहते है। जो मन पुर्वक धर्म के साथ गौ पुजन करता है। उनको शत्रु दोषो से छुटकारा मीलता है।

47 गाय धार्मिक आर्थिक व सांस्कृतिक आध्यात्मिक दृष्टि से सर्वगुण संपन्न है।

48 गाय ऐक चलता फीरता मंदिर है। हमारे सनातन धर्म में तैतिस कोटी देवी देवता है। हम रोजाना तैतीस कोटी देवी देवताओं के मंदिर जा कर उनके दर्शन नही कर सकते पर गौ माता के दर्शन से सभी देवी देवताओं के दर्शन हो जाते है।

49 कोई भी शुभ कार्य अटका हुआ हो बार बार प्रयत्न करने पर भी सफन नही हो रहा हो तो गौ माता के कान मे कहीये रूका हुआ काम बन जायेगा

50 जो व्यक्ति मोक्ष गौ लोक धाम चाहता हो उसे गौ व्रती बनना चाहिए ।

51 गौ माता सर्व सुखों की दातार है।

हे मा …………………….
आप अनंत आपके गुण अनंत इतना मुझमे सामर्थ्य नही की मे आपके गुणो का गान कर सकु मा.

🌷हरे कृष्णा हरी शरणम🌷

🌹🌷🌹gki🌹🌷🌹🌷
🙏🙏जय श्री राम🙏🙏

वर्तमान समय में समस्त विश्व का अर्थतंत्र Demand & Supply पर आधारित है।

वर्तमान समय में समस्त विश्व का अर्थतंत्र Demand & Supply पर आधारित है। यह नियम हर जगह Apply होता है। वर्तमान समय में Crude Oil (कच्चे तेल) की अपने न्यूनतम स्तर पर पहुँचने के पीछे भी यही Demand & Supply का नियम काम कर रहा है। अब हम Step By Step इस रिपोर्ट को समझते है।
◆ Economics के Simple से नियमो से हम इन बड़ी बड़ी लगनेवाली घटनाओ को आसानी से समझ सकते है। तेल उत्पादक देशो का एक संगठन है OPEC (Organization Of the Petroleum Exporting Countries)…. यह संगठन OPEC विश्व में Crude Oil की कीमतों के लिए जवाबदेह होता है। विश्व में तेल उत्पादक देशो में Saudi Arabia प्रथम क्रम पर है। अर्थात् दुनिया में सबसे ज्यादा तेल सऊदी अरब से निकलता है। ऐसे में जाहिर सी बात है OPEC देशो में सऊदी अरब की Monopoly(एकाधिकार) हो , दादागिरी हो। क्योंकि Monopolistic Market में सबसे ताकतवर ही भाव निर्धारण में प्रभाव डालता है।
◆ परंतु अब समय अब बदल चूका है, विश्व की Politics और Geo Politics तेज़ी से बदल रही है। तेल की गिरती हुई कीमतों की पीछे मुख्य कारण निम्नलिखित है।
1] पहला कारण यह है की Demand (मांग) से अधिक Supply का होना। यही सबसे बड़ा और प्रमुख कारण है।
– अब आप पूछेंगे की तेल की demand कैसे कम हो सकती है?? आप शायद आश्चर्यचकित हो सकते है परंतु पिछले कुछ महीनों से विश्व में Petroleum की मांग में गिरावट देखने को मिली है।
– तेल की मांग कम होने के पीछे मुख्य कारण है की ~~ European Union की आर्थिक महासत्ताओ में मंन्दी का माहौल चलना। Greece Crisis के बाद से ही Euro € का कमज़ोर पड जाना। Germany, France, Spain,Portugal, Italy जैसे बड़े देशो में आर्थिक सुस्ती का वातावरण। Portugal की कुछ Banks का दिवालिया होना। इन सभी कारणो के चलते तेल की मांग में गिरावट आई है।
– वही दूसरी ओर Asia में China का अर्थतंत्र डामाडोल होना। पिछले कुछ महीनो के भीतर ही चीन द्वारा अपनी Currency Yuan का कई बार अवमूल्यन किया गया हैं। भारत में भी महंगाई का आसमान छूना और Dollar $ के मुकाबले रूपए ₹ का कमज़ोर होना।
2] दूसरा मुख्य कारण यह है की पिछले वर्ष Vienna में Iran और Super 6 के बिच हुआ परमाणु करार। इस करार के बाद अमेरिका ने ईरान पर लगाये सारे आर्थिक प्रतिबंध हटा लिए। अब Iran एक प्रकार से अमेरिका का सहयोगी बन चूका है। अब Iran अपना तेल अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में बेच सकेगा। ईरान के आने से तेल का एक और Supplier देश बढ़ गया।
3] तीसरा कारण यह है की अमेरिका भी अब तेल के मामले में आत्मनिर्भर बन रहा है। North Dakota और Texas राज्यो में तेल के क्षेत्रो की खोज के बाद से ही अमेरिका का तेल का घरेलू उत्पादन(Domestic Production) बढ़ गया है। ऐसे में अमेरिका OPEC देशो से कम मात्रा में तेल Import कर रहा है। अब अमेरिका सऊदी अरब को पीछे छोड़ दुनिया का सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश बन चूका है।
4] चौथा मुख्य कारण खुद Saudi Arabia का घमंड ही है। OPEC संगठन के Venezuela, Russia, Iran जैसे देश Petroleum के उत्पादन में Artificial Shortage करके, उसमे कटौती करके तेल की कीमत को स्थिरता प्रदान करना चाहते है लेकिन Saudi Arabia और उसके मध्य पूर्व के Qatar, UAE जैसे सहयोगी किसी भी कीमत पर अपना तेल का उत्पादन कम करने के पक्ष में नहीं है। उनका यह तर्क है की Artificially तेल का उत्पादन कम करने से OPEC देशो में उनकी प्रतिष्ठा कम हो जायेगी और इससे उनके प्रतिद्वंद्वी शक्तिशाली बनकर उनका स्थान छीन लेंगे। सऊदी अरब के अड़ियल रवैये के चलते Petroleum की कीमत और भी कम हो सकती है। ऐसा करके Saudi Arabia अपने ही पैरो पर कुल्हाड़ी मार रहा है। हम तो डूबेंगे सनम तुम्हे भी ले डूबेंगे।
@ Report का यह पहला भाग था दूसरे भाग में Saudi Arabia में आर्थिक एवम् राजनैतिक अस्थिरता, राजशाही के अंत और Middle east की Geo पॉलिटिक्स से Greater Israel के निर्माण मार्ग को समझाया जायेगा। जय श्रीकृष्ण
A Report By वेंकटेश

निर्मला -प्रेमचंद

निर्मला -प्रेमचंद

प्रेमचन्द द्वारा लिखित ‘निर्मला’ उपन्यास, जिसका निर्माण काल 1923 ई. और प्रकाशन का समय 1927 ई. है। प्रेमचन्द्र की गणना हिन्दी के निर्माताओं में की जाती है। कहानी और उपन्यास के क्षेत्रों में उन्होंने पहली सफल रचनाएँ दीं जो गुण तथा आकार दोनों दृष्टियों से अन्यतम हैं। प्रेमचन्द्र के जिन उपन्यासों ने साहित्य के मानक स्थापित किए, उनमें निर्मला बहुत आगे माना जाता है। इसमें हिन्दू समाज में स्त्री के स्थान का सशक्त चित्रण किया गया है। इस पर बना दूरदर्शन का सीरियल भी बहुत लोकप्रिय हुआ है।

प्रमुख उपन्यास
प्रेमचन्द का यह उपन्यास ‘‘निर्मला’’ छोटा होते हुए भी उनके प्रमुख उपन्यासों में गिना जाता है। इसका प्रकाशन आज से लगभग 84 साल पहले 1927 में हुआ था। इस उपन्यास में उन्होंने दहेज प्रथा तथा बेमेल विवाह की समस्या उठाई है और बहुसंख्यक मध्यमवर्गीय हिन्दू समाज के जीवन का बड़ा यथार्थवादी मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया है। उनके अन्य उपन्यास निम्नवर्गीय तथा ग्रामीण कृषक जीवन का चित्रण करते हैं तथा राष्ट्रीय स्वाधीनता तथा समानता का पक्ष प्रबलता से प्रस्तुत करते हैं। इस श्रेणी में ‘गोदान’, ‘रंगभूमि’, ‘कर्मभूमि, ‘सेवासदन’, ‘प्रेमाश्रम’ आदि उपन्यास आते हैं जो सब गांधी विचारधारा से प्रभावित आदर्शवादी तथा आम जनता के जीवन से संबंधित है। ‘गबन’ भी ‘निर्मला’ की ही भाँति स्त्रियों की समस्या पर है परन्तु यह एक अन्य समस्या-स्त्रियों के आभूषण प्रेम की समस्या प्रस्तुत करता है।

कथानक
प्रेमचन्द कृत ‘निर्मला’ उपन्यास में अनमेल विवाह और दहेज-प्रथा की दु:खांत कहानी है। उपन्यास के अंत में निर्मला की मृत्यु इस कुत्सित सामाजिक प्रथा को मिटा डालने के लिए एक भारी चुनौती है। पिता उदयभानु लाल की मृत्यु हो जाने पर माता कल्याणी दहेज न दे सकने के कारण अपनी पुत्री निर्मला का विवाह भालचन्द्र और रँगीली के पुत्र भुवन मोहन से न कर बूढ़े वकील तोताराम से कर देती है। तोताराम के तीन पुत्र पहले ही से थे, इस पर भी उनकी विलासिता किसी प्रकार कम न हुई। इतना ही नहीं, निर्मला के घर में आने पर एक नवयुवती वधू के ह्रदय की उमंगों का आदर और उसे अपना प्रेम देने के स्थान पर तोताराम को अपनी पत्नी और अपने बड़े लड़के मंसाराम के पारस्परिक सम्बन्ध पर विलासिताजन्य सन्देह होने लगता है, जो अंततोगत्वा न केवल मंसाराम के प्राणंत का कारण बनता है, वरन सारे परिवार के लिए अभिशाप बन जाता है।

दूसरा लड़का जियाराम भी घर के विषाक्त वातावरण के प्रभावांतर्गत कुसंग में पड़कर निर्मला के आभूषण चुराकर ले जाता है। रहस्य का उद्‌घाटन होने पर वह भी आत्महत्या कर लेता है।

सबसे छोटा लड़का सियाराम विरक्त होकर साधु हो जाता है। परिवार में निर्मला की ननद रुक्मिणी उसको फूटी आँखों भी नहीं देख सकती और प्राय: निर्मला के लिए दु:ख और क्लेश का कारण बनती है। तोताराम दो पुत्रों के विरह से संतप्त होकर सियाराम को ढूँढ़ने निकल पड़ते हैं। उधर भुवन मोहन निर्मला को अपने प्रेम-पाश में फाँसने की चेष्टा करता है और असफल होने पर आत्महत्या कर लेता है। निर्मला के जीवन में घुटन के सिवाय और कुछ नहीं रह जाता। अंत में वह मृत्यु को प्राप्त होती है। जिस समय उसकी चिता जलती है, तोताराम लौट आते हैं। इस प्रकार उपन्यास का अंत करूणापूर्ण है और घटना-प्रवाह में अत्यंत तीव्रता है।

उपकथायें
निर्मला और तोताराम की इस प्रधान कथा के साथ सुधा की कहानी जुड़ी हुई है। तोताराम को जब निर्मला और मंसाराम के सम्बन्ध में निराधार सन्देह होने लगता है और, निर्मला अपने को निर्दोष सिद्ध करने के लिए मंसाराम के प्रति निष्ठुरता का अभिनय करती है और जब मंसाराम को घर से हटाकर बोर्डिग में दाख़िल कर दिया जाता है, तो बालक मंसाराम के ह्रदय को मार्मिक आघात पहुँचना है। उसकी दशा दिन-पर-दिन गिरती जाती है, और अंत में अपने पिता का भ्रम दूरकर वह मृत्यु को प्राप्त होता है। तोताराम को मानसिक विक्षोभ होता है। इसी समय समय प्रेमचन्द ने सुधा और उसके पति डॉ. भुवन मोहन का (जिसके साथ निर्मला का पहले विवाह होने वाला था) निर्मला से मित्रतापूर्ण सम्बन्ध स्थापित कराया है। सुधा और निर्मला घनिष्ठ मित्र बन जाती हैं। सुधा अपने शील सौजन्य और सहानुभूतिपूर्ण ह्रदय से निर्मला को मुग्ध कर लेती है। वह निर्मला की छोटी बहन कृष्णा का विवाह अपने देवर से कराती ही नहीं वरन निर्मला की माता की गुप्त रूप से अधिक सहायता भी करती है। निर्मला के मायके में कृष्ण के विवाह के बाद सुधा का पुत्र मर जाता है। निर्मला के भी एक बच्ची पैदा होती है। उसे लेकर वह अपने घर लौट आती है। एक दिन सुधा की अनुपस्थिति में जब निर्मला उसके घर गयी तो डॉ. भुवन मोहन आत्मसंयम खो बैठते हैं। पता लगने पर सुधा अपने पति की ऐसी भर्त्सना करती है कि वह आत्मग्लानि के वशीभूत हो आत्महत्या कर लेता है। इस घटना के पश्चात तो निर्मला के जीवन की विषादपूर्ण कथा अपने चरम सीमा पर पहुँच जाती है।

हास्य
प्रेमचन्द ने भालचन्द और मोटेराम शास्त्री के प्रसंग द्वारा उपन्यास में हास्य की सृष्टि की है।

सफल उपन्यास
आकस्मिक रूप से घटित होने वाली कुछ घटनाओं को छोड़कर ‘निर्मला’ के कथानक का विकास सीधे-सरल ढंग से होता है। प्रासंगिक कथाओं के कारण उसमें दुरूहता उत्पन्न नहीं हुई है। कथानक में कसावट है। कथा अत्यंत दृढ़ता के साथ विवृत होती हुई अपने अंतिम लक्ष्य तक पहुँच जाती है।
http://bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%B2%E0%A4%BE_-%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%AE%E0%A4%9A%E0%A4%82%E0%A4%A6

नीम के फायदे-Benefit of Neem Tree

नीम के फायदे-Benefit of Neem Tree

नीम की पत्तियों को पीसकर उसके लेप को चेहरे पर लगाने से फुंसियां व मुहांसों के दाग मिट जाते हैं। आइये जानते हैं नीम के सौंदर्य वर्धक फायदे।
ये हैं नीम के फायदे
1) पानी शुद्ध करे-

नीम की पत्तियों को उबालिये (दो लीटर पानी में लगभग 50 पत्ते)। उसके बाद जब पानी का रंग हरा हो जाए तब उस पानी को बोतल में छान कर रख लें। अपने नहाने के वक्त पानी में 100 मिलीलीटर इस नीम के पानी को डालें, जिससे संक्रमण, मुँहासे और वाइटहेड्स से छुटकारा मिले।

2) स्किन टोनर-

हर रात को सिर्फ एक कॉटन बॉल को नीम के पानी में डुबो कर उससे अपने चेहरे को पोंछ लें। इससे मुँहासे, झाइयां और ब्लैकहेड्स साफ हो जाएंगे। इस औषधि से बाल की रूसी और अत्यधिक बाल झड़ना भी समाप्त हो जाएगा।
3) फेस पैक-

10 नीम की पत्तियों को संतरे के छिलके के साथ पानी में उबाल लीजिये। फिर इसका पेस्ट बना कर उसमें शहद, दही और सोया मिल्क मिला कर स्मूथ पेस्ट तैयार कीजिये। इसे हफ्ते में तीन बार अपने चेहरे पर लगाइये। ऐसा करने से चेहरे से पिंपल, वाइटहेड्स, ब्लैकहेड्स और पोर्स छोटे हो जाएंगे।
4) हेयर कंडीशनर-

नीम पेस्ट जो पानी में उबाल कर और शहद मिला कर बनाया गया हो, बालों में लगाने से सिर से रूसी जाती है और बाल भी मुलायम बनते हैं।

5) दर्द नाषक

नीम का तेल कई साबुनों, नहाने के पाउडर, शैंपू, लोशन, टूथपेस्ट और क्रीम में प्रयोग किया जाता है। यह त्वचा की शुद्धी करता है।