तिरुपति में क्यों करते हैं बालों का दान, जानें 7 अनोखी बातें

वैसे तो दक्षिण भारत के सभी मंदिर अपनी भव्यता और सुंदरता के लिए मशहूर हैं, लेकिन तिरुपति बालाजी का मंदिर सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। तिरुपति बालाजी का मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तुर जिले में है। इस मंदिर को भारत का सबसे धनी मंदिर माना जाता है, क्योंकि यहां पर रोज करोड़ों रुपये का दान आता है। इसके अलावा भी बालाजी में कुछ बातें ऐसी हैं, जो सबसे अनोखी है। 22 नवंबर को देव प्रबोधिनी एकादशी है, कहते हैं इस दिन भगवान विष्णु नींद से जागते हैं और सारे शुभ काम शुरू होते हैं। इसी मौके पर हम आपको भगवान विष्णु और उनके अवतारों से जुड़े मंदिर आदि के रोचक पहलुओं से वाकिफ करवाएंगे…

जानिए तिरुपति बालाजी के मंदिर से जुड़ी 7 अनोखी बातें-

1. इसलिए किया जाता है यहां बालों का दान
तिरुपति बालाजी को भगवान विष्णु का ही रूप माना जाता है। इन्हें प्रसन्न करने पर देवी लक्ष्मी की कृपा अपने-आप ही हमें मिलती है और हमारी सारी परेशानी खत्म हो जाती है। मान्यता है कि जो व्यक्ति अपने मन से सभी पाप और बुराइयों को यहां छोड़ जाता है, उसके सभी दुख देवी लक्ष्मी खत्म कर देती हैं। इसलिए यहां अपनी सभी बुराइयों और पापों के रूप में लोग अपने बाल छोड़ जाते है। ताकी भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी उन पर प्रसन्न हों और उन पर हमेशा धन-धान्य की कृपा बनी रहे।

2. भक्तों को नहीं दिया जाता तुलसी पत्र
भगवान श्रीकृष्ण और विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय मानी जाती है, इसलिए उनकी पूजा में तुलसी के पत्ते का बहुत महत्व है। सभी मंदिरों में भगवान को चढ़ाया गया तुलसी पत्र बाद में प्रसाद के रूप में भक्तों को दिया जाता है। अन्य वैष्णव मंदिरों की तरह यहां पर भी भगवान को रोज तुलसी पत्र चढ़ाया तो जाता है, लेकिन उसे भक्तों को प्रसाद के रूप में नहीं दिया जाता। पूजा के बाद उस तुलसी पत्र को मंदिर परिसर में मौजूद कुएं में डाल दिया जाता है।

3. खुद प्रकट हुई थीं यहां की मूर्ति
मान्यता है कि यहां मंदिर में स्थापित काले रंग की दिव्य मूर्ति किसी ने बनाई नहीं बल्कि वह खुद ही जमीन से प्रकट हुई थी। स्वयं प्रकट होने की वजह से इसकी बहुत मान्यता है। वेंकटाचल पर्वत को लोग भगवान का ही स्वरूप मानते है और इसलिए उस पर जूते लेकर नहीं जाया जाता।

4. पूरी मूर्ति के दर्शन होते हैं सिर्फ शुक्रवार को
मंदिर में बालाजी के दिन में तीन बार दर्शन होते हैं। पहला दर्शन विश्वरूप कहलाता है, जो सुबह के समय होते हैं। दूसरे दर्शन दोपहर को और तीसरे दर्शन रात को होते हैं। इनके अलावा अन्य दर्शन भी हैं, जिनके लिए विभिन्न शुल्क निर्धारित है। पहले तीन दर्शनों के लिए कोई शुल्क नहीं है। भगवान बालाजी की पूरी मूर्ति के दर्शन केवल शुक्रवार को सुबह अभिषेक के समय ही किए जा सकते हैं।

5. क्यों कहते हैं भगवान विष्णु को वेंकटेश्वर
इस मंदिर के बारे में कहा जाता हैं कि यह मेरूपर्वत के सप्त शिखरों पर बना हुआ है, जो कि भगवान शेषनाग का प्रतीक माना जाता है। इस पर्वत को शेषांचल भी कहते हैं। इसकी सात चोटियां शेषनाग के सात फनों का प्रतीक कही जाती है। इन चोटियों को शेषाद्रि, नीलाद्रि, गरुड़ाद्रि, अंजनाद्रि, वृषटाद्रि, नारायणाद्रि और वेंकटाद्रि कहा जाता है। इनमें से वेंकटाद्रि नाम की चोटी पर भगवान विष्णु विराजित हैं और इसी वजह से उन्हें वेंकटेश्वर के नाम से जाना जाता है।

6. यात्रा के हैं कुछ नियम
तिरुपति बालाजी की यात्रा के कुछ नियम भी हैं। नियम के अनुसार, तिरुपति के दर्शन करने से पहले कपिल तीर्थ पर स्नान करके कपिलेश्वर के दर्शन करना चाहिए। फिर वेंकटाचल पर्वत पर जाकर बालाजी के दर्शन करें। वहां से आने के बाद तिरुण्चानूर जाकर पद्मावती के दर्शन करने की पंरापरा मानी जाती है।

7. रामानुजाचार्य को यहीं पर बालाजी ने दिए साक्षात दर्शन
यहां पर बालाजी के मंदिर के अलावा और भी कई मंदिर हैं, जैसे- आकाश गंगा, पापनाशक तीर्थ, वैकुंठ तीर्थ, जालावितीर्थ, तिरुच्चानूर। ये सभी जगहें भगवान की लीलाओं के जुड़ी हुई हैं। कहा जाता हैं कि श्रीरामानुजाचार्य जी लगभग डेढ़ सौ साल तक जीवित रहे और उन्होंने सारी उम्र भगवान विष्णु की सेवा की। जिसके फलस्वरूप यहीं पर भगवान ने उन्हें साक्षात दर्शन दिए थे।

भारत के बारे में ये 50 रोचक और ज्ञानवर्धक तथ्‍य जानकर आपको अपने देश पर गर्व होगा

भारत ने अपने आखिरी 100000 वर्षों के इतिहास में किसी भी देश पर हमला नहीं किया है।
जब कई संस्कृतियों में 5000 साल पहले घुमंतू वनवासी थे, तब भारतीयों ने सिंधु घाटी (सिंधु घाटी सभ्यता) में हड़प्पा संस्कृति की स्थापना की।
भारत विश्‍व का सबसे बड़ा लोकतंत्र और विश्‍व का सातवां सबसे बड़ा देश तथा प्राचीन सभ्‍यताओं में से एक है।
सांप सीढ़ी का खेल तेरहवीं शताब्‍दी में कवि संत ज्ञान देव द्वारा तैयार किया गया था इसे मूल रूप से मोक्षपट कहते थे। इस खेल में सीढियां वरदानों का प्रतिनिधित्‍व करती थीं जबकि सांप अवगुणों को दर्शाते थे। इस खेल को कौडियों तथा पांसे के साथ खेला जाता था। आगे चल कर इस खेल में कई बदलाव किए गए, परन्‍तु इसका अर्थ वहीं रहा अर्थात अच्‍छे काम लोगों को स्‍वर्ग की ओर ले जाते हैं जबकि बुरे काम दोबारा जन्‍म के चक्र में डाल देते हैं।

विश्‍व का सबसे प्रथम विश्‍वविद्यालय 700 बी सी में तक्षशिला में स्‍थापित किया गया था। इसमें 60 से अधिक विषयों में 10,500 से अधिक छात्र दुनियाभर से आकर अध्‍ययन करते थे। नालंदा विश्‍वविद्यालय चौथी शताब्‍दी में स्‍थापित किया गया था जो शिक्षा के क्षेत्र में प्राचीन भारत की महानतम उपलब्धियों में से एक है।
नौवहन की कला और नौवहन का जन्‍म 6000 वर्ष पहले सिंध नदी में हुआ था। दुनिया का सबसे पहला नौवहन संस्‍कृ‍त शब्‍द नव गति से उत्‍पन्‍न हुआ है। शब्‍द नौ सेना भी संस्‍कृत शब्‍द नोउ से हुआ।
निश्‍चेतक का उपयोग भारतीय प्राचीन चिकित्‍सा विज्ञान में भली भांति ज्ञात था। शारीरिकी, भ्रूण विज्ञान, पाचन, चयापचय, शरीर क्रिया विज्ञान, इटियोलॉजी, आनुवांशिकी और प्रतिरक्षा विज्ञान आदि विषय भी प्राचीन भारतीय ग्रंथों में पाए जाते हैं।
भारत से 90 देशों को सॉफ्टवेयर का निर्यात किया जाता है।
ज्‍यू और ईसाई व्‍यक्ति भारत में क्रमश: 200 बी सी और 52 ए डी से निवास करते हैं।

विश्‍व में सबसे बड़ा धार्मिक भवन अंगकोरवाट, हिन्‍दु मंदिर है जो कम्‍बोडिया में 11वीं शताब्‍दी के दौरान बनाया गया था।
सिक्‍ख धर्म का उद्भव पंजाब के पवित्र शहर अमृतसर में हुआ था। यहां प्रसिद्ध स्‍वर्ण मंदिर की स्‍थापना 1577 में गई थी।
भारत द्वारा श्रीलंका, तिब्‍बत, भूटान, अफगानिस्‍तान और बांग्‍लादेश के 3,00,000 से अधिक शरणार्थियों को सुरक्षा दी जाती है, जो धार्मिक और राजनैतिक अभियोजन के फलस्‍वरूप वहां से निकल गए हैं।
माननीय दलाई लामा तिब्‍बती बौद्ध धर्म के निर्वासित धार्मिक नेता है, जो उत्तरी भारत के धर्मशाला में अपने निर्वासन में रह रहे हैं।
युद्ध कलाओं का विकास सबसे पहले भारत में किया गया और ये बौद्ध धर्म प्रचारकों द्वारा पूरे एशिया में फैलाई गई।
योग कला का उद्भव भारत में हुआ है और यह 5,000 वर्ष से अधिक समय से मौजूद है।
दिल्ली और कोलकाता के बीच के समय में 1 घंटे का फर्क है, हालांकि पूरे भारत का समय क्षेत्र एक ही माना जाता है। अतंर्राष्ट्रीय मानक समय के अनुसार भारत का समय ग्रीनविच मध्याहन समय (GMT) से साढे पाँच घण्टे आगे है।

शतरंज जैसे प्रसिद्ध खेल का आविष्कार भी भारत में ही हुआ “शतरंज” शब्द मूल संस्कृत भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ है चतुरंग “एक सेना के चार सदस्यों का समूह” जिसमें ज्यादातर हाथी, घोड़े, रथ और पैदल सैनिकों होते हैं।
भारतीय गणितज्ञ श्रीधराचार्य ने 11 वीं शताब्दी में द्विघात समीकरण दिये। प्राचीन भारतीय गणितज्ञों ने ही विश्व में अंकों के बङे रूप को ‘घात’ के रूप में लिखने के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। भारत में ही दशमलव और उसका उपयुक्त स्थान पर प्रयोग करने का तरीका भी 100वीं ई.पू. में विकसित हुआ था। भारतीय गणितज्ञों ने ही दस की घात तिरपन तक की गणना प्राचीन काल में ही कर ली थी जबकि आधुनिक वैज्ञानिक युग के वैज्ञानिक अभी तक दस की घात बारह से अधिक अंक की गणना नहीं कर पाए हैं।
भारत के बुधायन ने पहली बार गणना करके “पाई” का सही मान छठवीं शताब्दी में ही निकाला और इसके सिद्धांत को समझाया, जिसे आज हम पाईथॉगोरस प्रमेय के नाम से जानते हैं जो कि यूरोपीय गणितज्ञों ने काफी बाद में सीखा।
भारत के ही खगोलशास्त्री भास्कराचार्य ने शुद्ध गणना करके विश्व को बता दिया था कि पृथ्वी अपनी कक्षा में घूमते हुए सूर्य का एक चक्कर 365.258756484 दिनों में पूरा करती है।

भारत के प्रसिद्ध चिकित्सक सुश्रुत को ‘शल्य चिकित्सा का जनक’ माना जाता है। इन्होंने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर 2600 साल पहले मोतियाबिंद, कृत्रिम अंगों, शल्य चिकित्सा से बच्चा पैदा करना, मूत्राशय की पथरी, प्लास्टिक सर्जरी और मस्तिष्क की शल्य चिकित्सा जैसे जटिल ऑपरेशन किये। माना जाता है कि भारतीय चिकित्सक प्राचीन काल से ही निश्चेतकों से भली भाँति परिचित थे इसके अलावा प्राचीन भारतीय ग्रंथों में शरीर
रचना विज्ञान, भ्रूण विज्ञान, पाचन, उपापचय, शरीर विज्ञान, आनुवांशिक रोगों और प्रतिरक्षा की विस्तृत जानकारी भी पायी जाती है।
समुद्र यात्रा एवम् समुद्र यात्रा की कला की उत्पत्ति 6000 वर्ष पहले सिंध नदी क्षेत्र से हुई। ‘नेविगेशन’ शब्द की उत्पत्ति भी संस्कृत के मूल शब्द ‘नवगति’ से हुई जबकि ‘नेवी’ शब्द की उत्पत्ति भी संस्कृत के शब्द ‘नाव’ से हुई।
धर्म क्षेत्र – दुनिया में भारत सभी धर्मों का समान रूप से पालन करने वाला देश है। विश्व स्तर पर भारत ने हर बङे धर्म का प्रतिनिधित्व किया है। यहाँ पर हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, सिक्ख धर्म का उदय भी यहीं हुआ है। भारत में जन्में चार धर्मों में हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म एवम् सिक्ख धर्म के अनुयायियों की मात्रा संसार की कुल आबादी का 25 प्रतिशत भाग है जबकि इस्लाम भारत और दुनिया का दूसरा सबसे बङा धर्म है।
यहाँ पर तीन लाख से अधिक ऐसी मस्जिदें हैं जिनमें हर रोज़ नमाज़ अदा होती है। जिनकी संख्या विश्व में किसी भी मुस्लिम देश के मुकाबले अधिक है।

भारत में राजा चोल के शासनकाल के दौरान (1004 ई. और 1009 ई. के बीच) दुनिया का सबसे पहला ग्रेनाईट मंदिर तमिलनाडु के तंजावुर में स्थित प्रसिद्ध बृहदेश्वर मंदिर के रूप में जाना जाता है। इस भव्य मंदिर का शिखर ग्रेनाइट के एक 80 टन के टुकड़े से बना है। इस मंदिर के निर्माण में पांच साल का समय लगा था।
10वीं सदी में बना तमिलनाडु का तिरुपति मंदिर दुनिया का सबसे बङा धार्मिक स्थल माना जाता है जहाँ पर प्रतिदिन 30 हजार से भी अधिक लोग इस मंदिर परिसर में दर्शन के लिए आते हैं तथा प्रतिदिन दिन भर में लगभग रू.3 करोङ का दान एकत्र हो जाता है। इस प्रकार भगवान विष्णु को समर्पित भारत का यह मंदिर रोम व मक्का के धार्मिक स्थलों से भी बङा है।
महाकुंभ मेंला – यह हिन्दुओं का सबसे बङा धार्मिक समारोह है जो कि प्रत्येक 12 वर्ष के बाद आता है। इस अवसर पर धर्म लाभ उठाने के लिए कई लाख लोग समारोह स्थल पर एकत्र होते हैं तथा पवित्र नदी में स्नान करते हैं।
कमल का फूल हिन्दुओं और बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए पवित्र है। दिल्ली में सफेद संगमरमर से बना 27 पंखुडियों वाला विशाल कमल मंदिर है जिसका निर्माण बहाई समुदाय के लोगों द्वारा करवाया गया है। भारत में गेंदें का फूल अच्छे भाग्य और सुख का प्रतीक माना जाता है। इसका प्रयोग हिन्दू परिवारों में विवाह के समय सजावट के लिए किया जाता है।
बरगद और अंजीर के पेङ को भारत में अमरता का सूचक माना जाता है। कई भारतीय मिथकों और किंवदंतियों में कहा गया है कि भारत के कुछ पेड़ है जो जीवनदायनी हैं और इन्हें उगाने की आवश्यकता कम ही होती है क्योंकि ये स्वतः ही उग जाते हैं।

नृत्य भारत की सबसे उच्च विकसित कला रही है यह आदि काल से मंदिरों के भीतर पूजा का अभिन्न हिस्सा था। यह अपने अर्थपूर्ण भाव-भंगिमाओं के लिए उल्लेखनीय है।
भारत में दुध की स्थिति काफी अच्छी है। यहाँ के ग्रामीण समुदाय काफी हद तक दुग्ध उत्पादन एवं उसके विपणन पर निर्भर हो कर अपनी आजीविका चला रहे हैं। इस समय भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है।
भारत 17वीं शताब्दी में ब्रिटिश शासन काल तक दुनिया का सबसे अमीर देश था। भारत की सम्पन्नता से आकर्षित हो कर एक समुद्री नाविक क्रिस्टोफर कोलम्बस ने भारत आने का समुद्री मार्ग खोजा, तो गलती से उसने अमेरिका की भी खोज कर डाली।
भारत में बना बेलीपुल विश्व का सबसे ऊंचा पुल है। यह द्रास और हिमालय पर्वतों में सुरु नदियों के बीच लद्दाख घाटी में स्थित है। जिसे भारतीय सेना द्वारा अगस्त 1982 में बनाया गया था। हिमालय मूल रूप से संस्कृत भाषा के ‘हिम’ तथा ‘आलय’ शब्दों से मिलकर बना है जिसका अर्थ है बर्फ का घर। भारत के उत्तर में स्थित हिमालय पर्वत श्रृंखला 1500 मील में फैली हुई है तथा वैज्ञानिको का मानना है कि यह पर्वत श्रृखला धीरे धीरे लम्बे समय से लगभग एक इंच (2.5 सेमी) प्रत्येक वर्ष बढ़ रही है। हिमालय क्षेत्र में कई प्राचीन भारतीय मठ पाए जाते हैं जो इन पहाड़ों की भव्यता में बसे हैं।
भारत विश्व में राजमा और छोले के रूप में सूखे बीजों व मेवों का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। यही नहीं केले के निर्यात में भी भारत दुनिया के अग्रणी देशों में है
बीजगणित, त्रिकोणमिति और कलन जैसी गणित की अलग-अलग शाखाओं का जन्म भारत में हुआ था।

भारतीय गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त (598-668) तत्कालीन गुर्जर प्रदेश के प्रख्यात नगर उज्जैन की अन्तरिक्ष प्रयोगशाला के प्रमुख थे।
भारत के बंगलुरु नगर में 2,500 से अधिक सॉफ्टवेयर कंपनियों में 26,000 से अधिक कंप्यूटर इंजीनियर काम करते हैं।
भारत में बंदरों की गिनती 5 करोड़ है.
भारत विश्व का सबसे बड़ा चाय उत्पादक और उपभोक्ता है। यहाँ विश्व की 30% चाय उतपादित होती है जिसमें से 25% यही उपयोग की जाती है।
दुसरे देशों में रहने वाले भारतीय 1 लाख करोड़ अमरीकी डालर हर साल कमाते हैं जिसमें से 30 हजार करोड़ बचाकर वे भारत भेज देते हैं।
भारत विश्व में सबसे अधिक डाकघरों वाला देश है। इतने डाकघर संसार के किसी भी ओर देश में नहीं हैं।

वाराणसी, जिसे बनारस के नाम से भी जाना जाता है, एक प्राचीन शहर है जब भगवान बुद्ध ने 500 बी सी में यहां आगमन किया और यह आज विश्व का सबसे पुराना और निरंतर आगे बढ़ने वाला शहर है।
कुंग फू के जनक तत्मोह या बोधिधर्म नामक एक भारतीय बौद्ध भिक्षु थे जो 500 ईस्वी के आसपास भारत से चीन गए।
जयपुर में सवाई राजा जयसिंह द्वारा 1724 में बनाई गई जंतर मंतर संसार की सबसे बड़ी पत्थर निर्मित वेधशाला है।
जैसलमेर संसार का एकमात्र ऐसा अनोखा किला है जिसमें शहर की लगभग 25 प्रतीशत आबादी ने अपना घर बना लिया है।
भारत, पाकिस्तान, फीजी, मारिशस, सूरीनाम और अरब देशों तक फैली हिंदी विश्व की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है।
विश्व में 22 हजार टन पुदीने के तेल का उत्पादन होता है, इसमें से 19 हजार टन तेल अकेले भारत में निकाला जाता है।
1896 तक भारत हीरों का एक मात्र स्त्रोत था और आधुनिक समय में हीरों के सबसे बड़े उपभोक्ता देशों में भारत तीसरे स्थान पर है। पहले व दूसरे स्थान पर क्रमशः अमेरिका और जापान हैं।

श्रीलंका और दक्षिण भारत के कुछ भागों में दीपावली का उत्सव उत्तर भारत से एक दिन पहले मनाया जाता है।
आयुर्वेद मानव जाति के लिए ज्ञात सबसे ,आरंभिक चिकित्सा शाखा है। इस शाखा विज्ञान के जनक माने जाने वाले चरक ने 2500 वर्ष पहले आयुर्वेद का समेकन किया था।
पेंटियम चिप का आविष्कार ‘विनोद धाम’ ने किया था। (आज दुनिया के 90% कम्प्युटर इसी से चलते हैं)
सबीर भाटिया ने हॉटमेल बनाई. (हॉटमेल दुनिया का न.1 ईमेल प्रोग्राम है)
अमेरिका में 38% डॉक्टर भारतीय हैं.
अमेरिका में 12% वैज्ञानिक भारतीय हैं और नासा में 36% वैज्ञानिक भारतीय हैं.
माइक्रोसॉफ़्ट के 34% कर्मचारी, आईबीएम के 28% और इंटेल के 17% कर्मचारी भारतीय हैं.
आधुनिक संख्या प्रणाली की खोज भारत द्वारा की गयी है. आर्यभट्ट ने अंक शून्य का आविष्कार किया था. विश्व में उपयोग की जाने वाली आधुनिक संख्या प्रणाली को भारतीय अंको का अंतरराष्ट्री रूप कहा जाता है.
पुरी के जगन्नाथ मंदिर में प्रतिदिन इतना प्रसाद बँटता है कि 500 रसोइए और 300 सहयोगी रोज़ काम करते हैं।
भारत की फिल्म इंडस्ट्री विश्व की सबसे बड़ी फिल्म इंडस्ट्री है।
भारत में एक करोड़ से ज्यादा लोग करोड़पति हैं।

 

Name+Fame+Money બધું જ મળશે, આ રીતે રાશિ મુજબ પહેરો રત્ન

ભારતીય જ્યોતિષ મુજબ દરેક ગ્રહને એક વિશેષ રત્ન દ્વારા પ્રદર્શિત કરવામાં આવે છે. આ રત્નને પહેરવાથી તે ગ્રહના અશુભ ફળમાં કમી આવીને તે શુભ થઇ જાય છે. શાસ્ત્રો નવગ્રહોની ચાલનું આંકલન કરીને ભવિષ્યમાં બનનારી ઘટનાઓના લેખા-જોખા આપે છે. જો કોઈ ગ્રહ નજીકના ભવિષ્યમાં પીડિત અને અશુભ સ્થિતમાં રહીને આપણે પીડા આપવાનો પ્રયાસ કરતો હોય તો તેનાથી આપણે બચવા માટે કંઈક ઉપાય કરવા માગતા હોઈએ છીએ.

રાશિ રત્ન આ ઉપાયોમાં કારગર હોય છે, જો તે શુદ્ધ અને અસલી હોય તો ગ્રહ સાથે જોડાયેલ સમસ્યાનું નિદાન ખૂબ જ ઝડપથી થઈ જાય છે. આ અસરદાર તો હોય જ છે, પરંતુ તેને ખરીદતી વખતે પણ કેટલીક બાબતોનું ધ્યાન રાખવું જોઈએ. આપણા શાસ્ત્રોમાં રત્ન પહેરવા તે ખૂબ જ શુભ માનવામાં આવ્યું છે. વિજ્ઞાન પણ આ નગીના અને રત્નોને સકારાત્મક ઊર્જાને આપનાર તથ્યોની પુષ્ટિ કરે છે.

માણિક્યઃ

જ્યોતિષ મુજબ માણિક્ય (રૂબી) સૂર્યનો રત્ન છે. માણિક્ય જોવામાં લાલ રંગનો પારદર્શી પથ્થર હોય છે જેને સૂર્યના તડકામાં રાખવાથી અગ્નિની સમાન આગ નીકળતી જોવા મળે છે. આ રત્ન શરીરની ઉષ્માંને નિયંત્રિત કરીને માનસિક સંતુલન આપે છે. માણિક્ય પહેરવાથી સૂર્ય અનુકૂળ થઇને તમારા વિકાસનો માર્ગ ખોલી શકે છે. માણિક્ય સિંહ રાશિનો રત્ન છે. માણિક્યનો ઉપરત્ન ગાર્નેટ છે, જો તમે મોંઘો માણિક્ય ખરીદી ન શકતા હોવ તો ગાર્નેટ પણ પહેરી શકો છો. માણિક્ય અથવા રૂબી સોના અથવા તાબાંની ધાતુમાં પહેરવું રહે છે.

મોતીઃ

ચંદ્રને અનુકૂળ બનાવવા માટે મોતી (પર્લ) પહેરવામાં આવે છે. મોતી દેખાવમાં સોમ્ય હોય છે. જે લોકોને માનસિક ઉત્તેજના વધારે રહેતી હોય તેમણે પણ મોતી પહેરવાની સલાહ આપવામાં આવે છે. આ રત્ન મિથુન રાશિના લોકો માટે ખૂબ જ શુભ માનવામાં આવે છે. મોતી ન ખરીદી શકવાની સ્થિતિમાં તમે મૂનસ્ટોન, સફેદ મૂંગા અથવા ઓપલ પણ પહેરી શકો છો. મોતીને ચાંદીમાં પણ પહેરી શકાય છે.

મૂંગાઃ

મંગળનો રત્ન મૂંગા દેખાવમાં મોતી જેવો લાલ રંગનો હોય છે. તે અંડાકાર તથા ત્રિકોણ શેપમાં જ આવે છે. જે લોકોની કુંડળીમાં મંગળ અશુભ યોગ બનાવી રહ્યો છે તેમણે મૂંગા પહેરવાની સલાહ આપવામાં આવે છે. મૂંગા પહેર્યા પહેલાં કોઇ અનુભવી જ્યોતિષની સલાહ લેવી જોઇએ કારણ કે, તે મેષ તથા વૃશ્ચિક બંન્ને જ રાશિવાળા લોકો માટે શુભ માનવામાં આવે છે પરંતુ તેની અસર બંન્ને રાશિઓ પર અલગ-અલગ થાય છે. આ રત્નને રાજનીતિજ્ઞ, સેના, પોલીસ, બિલ્ડિંગ અને કોઇ હોસ્પિટલની લેબમાં કામ કરનાર વ્યક્તિ પણ પહેરી શકે છે. મૂંગા નીલમ, હીરો, ગોમેદ અને લહસુનિયાની સાથે ક્યારેય ન પહેરવો જોઇએ. મૂંગા રત્ન ખરીદવામાં અસમર્થ લોકોએ લાલ હકીક, તામડા અથવા સંગસિતારા પહેરવા જોઇએ. મૂંગા હમેશાં સોના અથવા તાંબાની ધાતુમાં બનાવીને જ પહેરવો જોઇએ.

પન્નાઃ

બુધ રાશિરત્ન હોવાને કારણે વિદ્યાર્થીઓ તથા અભ્યાસ ક્ષેત્ર સાથે જોડાયેલા લોકો માટે સૌભાગ્ય લાવે છે. આ રત્નનો રંગ હળવો લીલો હોય છે. તેને ધારણ કરવાથી બુઘની પીડા શાંત થઇ જાય છે. મિથુન તથા કન્યા લગ્નવાળા વ્યક્તિ પણ પન્ના ધારણ કરી શકે છે. પન્ના વધારે મોંઘો હોવાને કારણે પ્રત્યેક વ્યક્તિ તેને ધારણ કરી શકતો નથી, આવી અવસ્થામાં તમે ઝેડ, એક્વામેરિન, ફિરોઝા અથવા આનેક્સ પણ પહેરી શકો છો. પન્ના હમેશાં ચાંદીમાં પહેરી શકાય છે.

પુખરાજઃ

પુખરાજ ગુરૂનો રત્ન છે. આધ્યાત્મિક ઉન્નતિ ઇચ્છતા લોકો માટે તે ખૂબ જ શુભ માનવામાં આવે છે. ધન અને મીન રાશિના લોકો માટે પુખરાજ પહેરવો સૌભાગ્યમાં વૃદ્ધિ કરે છે. આ રત્નનો દેખાવ પારદર્શી હોય છે તથા સફેદ, બસંતી અને પીળા રંગમાં મળી આવે છે. પુખરાજનો ઉપરત્ન ટાઇગર, સોનેરી પીળો હકીક છે. તેને સોનાની અષ્ટધાતુમાં પહેરી શકાય છે.

હીરોઃ

હીરો શુક્ર ગ્રહની અનુકૂળતા માટે પહેરવામાં આવે છે. હીરો પહેરવાથી શુક્રનો નકારાત્મક પ્રભાવ દૂર થઇને સમૃદ્ધિના દ્વાર ખોલે છે. જ્યોતિષ મુજબ હીરો પહેરવાથી પ્રેમ/વૈવાહિક સંબંધ અનુકૂળ થઇને વ્યક્તિના જીવનને ખુશહાલ બનાવી દે છે. હીરાને હમેશાં ચાંદી અથવા પ્લેટિનમમાં પહેરવો જોઇએ. હીરો ખૂબ જ મોંઘો હોવાને કારણે બધા લોકો તેને ખરીદી શકતા નથી, આસ્થિતિમાં તમે હીરાનો ઉપરત્ન જર્કિન, સ્ફટિક, સફેદ પુખરાજ, ઓપલ ખરીદીને પહેરી શકો છો.

નીલમઃ

નીલમ શનિનો કારક રત્ન છે. નીલમ પહેરવાનો ત્વરિત પ્રભાવ સર્વસામાન્ય હોય છે. એવું કહેવામાં આવે છે કે, અમિતાભ બચ્ચન જ્યારે અસફળતાના અંધકારમાં ચાલી ગયા હતા ત્યારે નીલમ પહેરવો તેમની માટે શુભ રહ્યો અને ફરી તેઓ પોતાની સ્ટારડમ મેળવવામાં સફળ રહ્યા. નીલમનો દેખાવ હીરા જેવો જ પરંતુ વાદળી રંગનો હોય છે. આ રત્નને કન્યા રાશિવાળા લોકો  માટે પણ શુભ માનવામાં આવે છે. નીલમ પણ વધા3રે મોંઘો પથ્થર હોય છે, એવામાં તેનો ઉપરત્ન એમેથિસ્ટ, લાજવર્ત, બ્લેકસ્ટાર, ગનમેટલ, બ્લૂ ટોપાઝ પહેરી શકાય છે. આ રત્નને સોના અથવા પંચધાતુમાં પહેરી શકાય છે.

ગોમેદઃ

ગોમેદ વ્યક્તિના જીવનથી રાહુના ખરાબ પ્રભાવને દૂર કરીને યોગ્ય દિશામાં લાવે છે. માનસિક ઉથલ-પુથલ, ખોટ્ટા નિર્ણયો તથા કારણ વિના થઇ રહેલ નુકસાનને રોકવા માટે વ્યક્તિએ ગોમેદ રત્ન ધારણ કરવો જોઇએ. આ રત્ન જીવનમાં પ્રેમ, સમૃદ્ધિ અને ખુશહાલી લાવવાનું કામ કરે છે. ગોમેદ રત્નને ચાંદીમાં મઢાવીને પહેરી શકાય છે. ગોમેદનો ઉપરત્ન ઓરેન્જ જર્કિન તથા હેસોનાઉટ છે.

લહસુનિયાઃ

આ રત્નને કેતુની શાંતિ માટે પણ પહેરી શકાય છે. કેતુનો ઉપરત્ન કેટ્સ આઈ તથા એલેગ્ઝેડ્રાઇટ છે. આ બંન્ને રત્નોને ચાંદીમાં પહેરી શકાય છે.

गिलहरी

बहुत दिनों पहले की बात है, गिलहरी पूरी तरह काली हुआ करती थी। छोटी-छोटी झाड़ियों के बीच, घास के मैदानों में, ऊँचे बड़े पेड़ों पर रेंगती फिरती कूदती फाँदती लेकिन लोग उसे सुंदर प्राणी नहीं समझते थे। गिलहरी को गाँव के परिवारों के साथ रहना पसंद था लेकिन गाँव वाले उसे पसंद नहीं करते थे। वह घरों में पहुँच जाती तो बच्चे डर जाते और लोग उसे भगाने लगते।

गाँव में एक आश्रम था जिसमें साधू बाबा रहते थे। गिलहरी उनके पास रहने लगी। जो बाबा खाते वह गिलहरी खाती, जो वे यज्ञ हवन करते उसकी साक्षी बनती और जो वे जप मंत्र पढ़ते उसके पुण्य का लाभ उठाती। धीरे धीरे गिलहरी बीज, कंद और मूल खाने वाली साध्वी बन गई। कुछ समय बाद बाबा रामेश्वरम की तीर्थयात्रा पर निकले तो वह गिलहरी भी उनके साथ हो ली। रामेश्वरम के समुद्र तट पर बाबा ने जहाँ डेरा डाला वहीं किसी पेड़ पर एक कोटर में गिलहरी ने भी अपना घर बना लिया।

रामेश्वरम में थोड़ा ही समय बीता था कि राम और रावण का युद्ध छिड़ गया और राम जी ने सिंधु में सेतु निर्माण का कार्य प्रारम्भ कर दिया। नल और नील के नेतृत्व में बन्दर और भालू समुद्र में पत्थर डालकर सेतु बनाने लगे। यह देखकर गिलहरी भी रेत के कण उठाकर समुद्र में डालने लगी। यह छोटा सा काम था लेकिन बड़े निर्माण में छोटे से छोटे काम का महत्व होता है, यह समझकर नल नील ने उसे टोका नहीं और वह अपना काम करती रही। भगवान राम भी उसे चुपचाप काम करते देखते। जिस दिन पुल का निर्माण पूरा हुआ, उस दिन, नन्हीं सी गिलहरी द्वारा प्रदर्शित उत्तरदायित्व, लगन और श्रम की भावना को पुरस्कृत करने के लिये भगवान राम ने उसे अपने हाथों में उठाया और आशीर्वाद से भरी अपनी अँगुलियों को उस पर फेरा।

आश्चर्य ! भगवान राम के हाथ और ऊँगलियों के निशान जहाँ लगे वहाँ का रंग भगवान की त्वचा जैसा साँवला हो गया और वह अत्यंत आकर्षक दिखाई देने लगी। कहते हैं तभी से गिलहरी की गणना सुंदर प्राणियों में होने लगी। गाँव के बच्चे उसे देखकर खुश हो जाते, उसे बगीचों से कोई नहीं भगाता और लोग उससे खूब प्रेम करते। गिलहरी को मिले इस वरदान से उसके आगे की संतति भी सुंदर हुई। अंत में जब सेतु निर्माण का इतिहास लिखा गया तब हर कवि और रचनाकार ने उस नन्हीं गिलहरी का उल्लेख अपनी रचना में किया।

कश्मीर का वास्तविक समाधान क्या होना चाहिये ?

भारत सरकार कश्मीर का समाधान कर सकती है , इसके लिये राजनितिक इक्षा शक्ति और वोट बैंक की राजनीती से सरकार  को ऊपर उठना पड़ेगा। कुछ समाधान मै नीचे उदृत कर रहा हू।
१ ) कश्मीर घाटी में सक्रिय अलगाववादी नेता सरकार और प्रशासन के आशीर्वाद से देश के विभिन्न शहरो में जाकर अपने अलगाववादी अजेंडे का खुला प्रचार करते है। कांग्रेस पार्टी,आम पार्टी ,तथा वामपंथी पार्टी के कुछ नेता इनका साथ दे रहे है। ये लोग स्थान स्थान पर जाकर कश्मीर की आज़ादी जैसे विषयों पर विचार गोष्टिया  करते है।  इनका सर्वजनिक तौर पर पर पूर्ण बहिस्कार होना चाहिये।
२ ) अनुछेद ३७० को समाप्त कर प्रदेश के अलग झंडे और अलग संविधान के अस्तित्व को समाप्त किया जाये।
३ ) जम्मू -कश्मीर के प्रशासन में जमे बैठे पकिस्तान समर्थको , धार्मिक स्थलों में छिपे उपद्रवियों और जंगलो में स्थापित आतंकियों के गुप्त ठीकानो  पर सेना की सहायता से सख्त कार्यवाही की जाये।
४ ) अलगाववादी संगठनो पर तुरंत प्रतिबन्ध लगाकर इनके नेताओ पर देशद्रोह के मुकद्दमे चलाये जाये।
५ ) कश्मीर घाटी में अपने घरो से जबरदस्ती और योजनाबद्ध तरीके से उजड़े गए चार लाख हिन्दुओ की सम्मानजनक एवं सुरक्षित घर वापसी को सुनिषित किया जाये।
६ )जम्मू और लद्दाख के प्रति हो रहे भेद भाव को समाप्त करने की संवैधानिक वैयावस्था की जाये।जिस काम की शुरुआत मोदीजी कर चुके है।
७ )सुरक्षा बलों के विसेशाधिकार वापस लेने जैसे कदम उठा कर उनके मनोबल को न तोडा जाये।  सामान्य नागरीको की सुरक्षा के लिये संवेदन शील  चेत्रो में तैनात सुरक्षाबलों को देशद्रोही  आतंकियों के विरुद्ध कार्यवाही करने के सभी अधिकार सौपे जाये।
८ ) सन १९९४ में भारतीये संसद द्वारा लिये गए संकल्प “सम्पूर्ण जम्मू – कश्मीर भारत का अभिन्न अंग ” को क्रियान्वित  करने के लिये यथासंभव कार्यवाही की जाये।

 

વિજ્ઞાનથી પરે છે અઘોરીવિશ્વ, કેન્સર ને એડ્સનો ઇલાજ છે અઘોરીઓ પાસે !

બધા જ લોકો જાણે છે કે નાગા સાધુ બનવાની પ્રક્રિયા કેટલી જટિલ અને મુશ્કેલ હોય છે. લોકોનું માનવું છે કે નાગા સાધુઓ અને અઘોરીઓ સમાન છે પરંતુ એવું નથી. નાગા સાધુ અને અઘોરીઓ વચ્ચે ઘણો અંતર છે. આજે અમે તમને જણાવીશું નાગા સાધુઓ અને અઘોરીઓની વચ્ચે શું અંતર હોય છે. આજે અમે તમને નાગા સાધુ અને અઘોરી સાથે જોડાયેલાં ઘણા ફેક્ટ્સ જણાવીશું જેનાથી લોકો અજાણ છે.

નાગા સાધુઓનું મૌલિક ઉદેશ્ય સનાતન ધર્મની રક્ષા કરવાનું તથા તેના સંચાર સાથે જોડાયેલું છે. ત્યાં જ અઘોરી બનવાનું ઉદેશ્ય અલૌકિક શક્તિઓ અને વિવિધ સિદ્ધિઓ પ્રાપ્ત કરી શિવ અને શક્તિની શરણમાં જવાનું હોય છે.

કીના રામઃ-

અઘોરીઓના ઇતિહાસની તપાસ કરવામાં આવે તો કીના રામ નામના અઘોરીનું નામ સૌથી પહેલાં આવે છે. લગભગ 150 વર્ષ સુધી જીવિત રહેનાર કીના રામ અઘોરીની મૃત્યુ 18મી સદીના મધ્યમાં થઇ હતી. એવું કહેવામાં આવે છે કે, અઘોરીઓના લાંબા જીવનકાળની શરૂઆત કીના રામથી જ થઇ હતી.

શિવમાં છે સંપૂર્ણતાઃ-

શિવને પોતાના આરાધ્ય માનનારા અઘોરી, તેમને સર્વવ્યારી અને સંપૂર્ણ માને છે. અઘોરીઓનું માનવું છે કે, બ્રહ્માંડની કોઇપણ ઘટના શિવના આદેશ વિના થઇ શકતી નથી. અઘોરી શિવને જ રચનાકાર, વિનાશક અને પાલનહાર માને છે. આ સિવાય તેઓ માતા કાળીની પૂજા સ્ત્રી રૂપી શક્તિ તરીકે જ કરે છે.

તૈલંગ સ્વામીનો પ્રતિશોધઃ-

ઇતિહાસના ચર્ચિત અઘોરીઓમાંથી એક છે તૈલંગ સ્વામી. એક દિવસ બનારસમાં સ્થિત કાશી વિશ્વનાથ મંદિરમાં તૈલંગ સ્વામી પોતાના મળ-મૂત્રથી શિવલિંગની પૂજા કરી રહ્યા હતાં. જ્યારે મંદિરના પૂજારીએ આ દ્રશ્ય જોવું તો ગુસ્સામાં આવીને તેમણે તૈલંગ સ્વામીને તમાચો મારી દીધો.

શિવના અવતારઃ-

તે પછીના જ દિવસે રહસ્યમય પરિસ્થિતિમાં તે પુજારીની મૃત્યુ થઇ ગઈ. સ્થાનીય કથાઓ મુજબ બનારસના તત્કાલીન રાજાને એવું સપનું આવ્યું હતું કે, જે અઘોરીનું અપમાન કરવામાં આવ્યું હતું તે સ્વયં શિવનો જ અવતાર હતો.

એડ્સ અને કેન્સરનો ઇલાજઃ-

અઘોરીઓનું કહેવું છે કે, સંસારમાં એવી કોઇપણ બીમારી નથી જેની કોઇ દવા તેમની પાસે ના હોય. કેન્સરથી લઇને એડ્સ જેવી ઘાતક અને જાનલેવા બીમારીઓને ઠીક કરવાની દવા પણ તેમની પાસે છે. આ દવા ચિતા પર રહેલાં શવમાંથી નીકળતા તેલને એકત્ર કરીને બનાવવામાં આવે છે. જોકે, વિજ્ઞાને આ દવાની કોઇ તપાસ કરી નથી પરંતુ અઘોરી આ દવાને 100 ટકા પ્રભાવી માને છે.

ઋતુઓની ઓછો પ્રભાવઃ-

કેટલાંક સામાન્ય વ્યક્તિ ખૂબ જ જલ્દી બદલાતી ઋતુઓની ચપેટમાં આવી જાય છે. વ્યક્તિ વધારે પડતી ઠંડી સહન નથી કરી શકતો કે પછી વધારે ગરમી પણ સહન નથી કરી શકતો. પરંતુ અઘોરીઓ ઉપર ઋતુઓનો કોઇ જ પ્રભાવ પડતો નથી. ઋતુ ભલે કોઇપણ હોય તે એક સમાનરૂપમાં જ રહે છે. હેરાનીની વાત તો એ છે કે, અઘોરીઓની તબિયત ક્યારેય ખરાબ નથી થતી કે પછી કોઇ પરેશાની પણ નથી આવતી.

પવિત્રતાઃ-

અઘોરી સાધનામાં શવના માંસથી લઇને, વીર્ય, રજ અને માસિક ધર્મના લોહીનો પણ પ્રયોગ થાય છે. અઘોરીઓ મુજબ સૃષ્ટિની રચના ભગવાન શિવે જ કરી છે અને આ બ્રહ્માંડમાં કોઇપણ વસ્તુ અથવા પ્રાણી ધૃણા કરવા જેવી કે નિંદનીય નથી. અઘોરીઓ બધી જ વસ્તુઓમાં પવિત્રતાને જોવે છે.

શવ સાધનાઃ-

સામાન્ય મનુષ્ય શવને જોઇને પણ ભયભીત થઇ જાય છે, તે શ્મશાન ઘાટમાં વધારે સમય વિતાવી શકતો નથી. પરંતુ અઘોરીઓ માટે ભય અને બીક જેવી કોઇ જ વસ્તુઓ હોતી નથી. તે શક્તિઓ પ્રાપ્ત કરવા માટે મૃત શરીર પર બેસીને સાધના કરે છે. શ્મશાનના સન્નાટામાં તે શવની ઉપર બેસીને ધ્યાનની ચરમાવસ્થા પ્રાપ્ત કરે છે.

જન્મના સમયે બધા જ અઘોરી હોય છેઃ-

અઘોરીઓનું માનવું છે કે, સંસારમાં જન્મ લેનાર પ્રત્યેક વ્યક્તિનો જન્મ અઘોરીના સ્વરૂપમાં જ થયો હતો. શૈશવાસ્થામાં વ્યક્તિની અંદર કોઇપણ પ્રકારનો ભેદભાવ રહેતો નથી. તે લોકો માટે કંઇપણ સારું કે ખરાબ, પવિત્ર કે અપવિત્ર હોતું નથી. જ્યારે તેનો પરિવાર તેને આ ભેદભાવો સમજાવે છે ત્યારે જ તેને સમજ આવે છે.

અઘોરીઓના વસ્ત્રઃ-

અઘોરીઓ માટે શવની રાખ અને ભસ્મ જ તેમના વસ્ત્ર હોય છે. તે સામાન્ય મનુષ્યની જેમ કપડા પહેરીને પોતાના શરીરને ઢાંકતાં નથી. તે લોકો પાસે ઓછામાં ઓછા વસ્ત્રો જોવા મળે છે.

નફરતથી દૂરઃ-

અઘોરીઓ માટે નફરત અને પ્રેમ, બંન્ને જ પ્રકારની ભાવનાઓ બેમાની છે. તેઓ કોઇ અન્ય વ્યક્તિ સાથે પ્રેમ નથી કરતાં કે પછી નફરત પણ નથી કરતાં. તેઓ આ સંસારની દરેક વસ્તુ અને પ્રાણીને લઇને સમાન ભાવ રાખે છે. તે રંગ, રૂપ, લિંગ, જાતિ વગેરે કોઇપણ પ્રકારથી ભેદભાવ કરતાં નથી. તેઓનું માનવું છે કે, વ્યક્તિ મોક્ષ પ્રાપ્ત કરી શકતો નથી.

અઘોરીઓને ઈશ્વરનો ડાબો હાથ માનવામાં આવે છે. અઘોરી પણ એવું માને છે કે, સીધા રસ્તાથી ઈશ્વરને પ્રાપ્ત કરવું સફળ નથી એટલાં માટે તે તંત્ર સિદ્ધિઓ અને સાધનાઓની મદદથી ઈશ્વરને મેળવવાનો પ્રયત્ન કરે છે.

મૃત શરીરની વચ્ચે ‘સંભોગ’-

સામાન્ય વ્યક્તિ માટે ‘સેક્સ’ એક નિષેધાત્મક શબ્દ છે પરંતુ અઘોરી એવું માને છે કે, શ્મશાનમાં મૃત શરીરો વચ્ચે સેક્સ કરવાથી તેમને અલૌકિક શક્તિઓ પ્રાપ્ત થાય છે. તે માસિક ધર્મ દરમિયાન સ્ત્રીની સાથે સંબંધ સ્થાપિત કરવો યોગ્ય માને છે, પરંતુ તેની માટે કોઇપણ સ્ત્રી પર દબાવ કરવામાં આવતું નથી.

 

दुबई ! ऐसा राजतन्त्र जिसे हम लोकतान्त्रिक प्राणी तानाशाही कहते है।

🍁 दुबई !

ऐसा राजतन्त्र

जिसे हम लोकतान्त्रिक प्राणी तानाशाही कहते है।

मैं भी तानाशाही में यकीन नही रखता था।

लेकिन अगर देखें तो तानाशाही ने दुबई को जन्नत बना दिया।

100 % रोजगार।

विश्व की सबसे अच्छी कानून व्यवस्था।

विश्व स्तर की स्वास्थ्य सेवाएं , हर किसी के लिए।

करप्शन फ्री देश।

न्यूनतम रिश्वतखोरी।

विश्वस्तर की हर सुविधा।

न्यूनतम नशाखोरी।

कानून तक हर किसी की पहुँच।

बलात्कार की एक नाकाम कोशिश आखिरी बार 2007 में हुई थी।

आरोपी पठान अगले शुक्रबार को चौराहे पे लटकता हुआ पाया गया था।

एक बैंक डकैती हुई थी (नाकाम ) 2005 में।

सब के सब आरोपियों को गोली मार दी गयी थी।

ज्यादातर शो रूम्स में कांच की ही दीवारें होती है।

लोहे के भरी भरकम शटर नही।

किसी भी पब्लिक ऑफिस में आप लाइन नही लगा सकते ,

अपनी आटोमेटिक अपॉइंटमेंट पर्ची लो और सोफे पे बैठकर इंतज़ार करो।

आपका नंबर बोलकर बुलाया जायेगा।

रोड एक्सीडेंट होने पे चंद ही मिंटो में एम्बुलेंस ,

फिर पुलिस ,

सिविल डिफेन्स।

और अगर जरूरत पड़े तो

हेलीकाप्टर एम्बुलेंस भी हाजिर।

आधी रात को भी पश्चिमी औरतें स्कर्ट में घूमती है

लेकिन क्या मजाल कि कोई छेड़छाड़ हो जाये।

999 में बस फोन घुमा दो।

फोन काटने से पहले ही पुलिस हाजिर।

ये वो देश है

जहाँ का राष्ट्रपति भी बिना सुरक्षा के अकेला निकला जाता है।

ये वो देश है जहाँ लोग अपने मुल्क को अपना मुल्क समझते है।

पुलिस न भी मौजूद हो

लेकिन अगर आप कुछ भी गलत करते हुए पकड़े गए तो आपकी खैर नही।

यहाँ के निवासी इस मुल्क की हर चीज को अपनी पर्सनल प्रॉपर्टी मानते है और उसका ख्याल रखते है।

और एक हमारा कथित लोकतंत्र है

की खामिया ही खामिया।

लिस्ट केजरीवाल के आरोपों से भी लम्बी होगी।

आँखे बंद करके सोचना शुरू करदो।

अब साला दिल कहता काश ये सिस्टम इंडिया में भी होता।

लोकतंत्र तो एक ढकोसला है।

 

हर पांच साल बाद एक लोल्लिपोप थमा देते है

 

और खुद नेता लोगो का खून चूसते है।

😳😳

कुछ सत्य पर कडवे सच

 

ऐसी उत्तम और विराट तथा बारीक़ से बारीक़ काल गणना हमारे सनातन शास्त्रों के अतिरिक्त कहीं नहीं है |

कुछ नया जानिए

क्रति = सैकन्ड का 34000वाँ भाग
1 त्रुति = सैकन्ड का 300वाँ भाग
2 त्रुति = 1 लव
1 लव = 1 क्षण
30 क्षण = 1 विपल
60 विपल = 1 पल
60 पल = 1 घड़ी (24 मिनट )
2.5 घड़ी = 1 होरा (घन्टा)
24 होरा = 1 दिवस (दिन या वार)
7 दिवस = 1 सप्ताह
4 सप्ताह = 1 माह
2 माह = 1 ऋतु
6 ऋतु = 1 वर्ष
100 वर्ष = 1 शताब्दी
10 शताब्दी = 1 सहस्राब्दी
432 सहस्राब्दी = 1 युग
2 युग = 1 द्वापर युग
3 युग = 1 त्रेता युग
4 युग = सतयुग
1 महायुग = सतयुग + त्रेतायुग + द्वापरयुग + कलियुग
76 महायुग = मनवन्तर
1000 महायुग = 1 कल्प
1 नित्य प्रलय = 1 महायुग (धरती पर जीवन अन्त और फिर आरम्भ)
1 नैमितिका प्रलय = 1 कल्प (देवों का अन्त और जन्म)
1 महाकाल = 730 कल्प (ब्रह्मा का अन्त और जन्म)

ज़रा गौर करें, हमारी परम्पराओं के पीछे कितना गहन विज्ञान छिपा हुआ है | ये इस देश का दुर्भाग्य है कि हमारी परम्पराओं को समझने के लिए जिस विज्ञान की आवश्यकता है वो हमें पढ़ाया नहीं जाता और विज्ञान के नाम पर जो हमें पढ़ाया जा रहा है उस से हम अपनी परम्पराओं को समझ नहीं सकते | विश्व का सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र यही है | जो हमारे देश भारत में बना | ये हमारा भारत है जिस पर हमको गर्व है |

LIST OF SPECIAL DOCTORS

Allergist or Immunologist – conducts the diagnosis and treatment of allergic conditions.

Anesthesiologist – treats chronic pain syndromes; administers anesthesia and monitors the patient during surgery.

Cardiologist – treats heart disease

Dermatologist -treats skin diseases, including some skin cancers

Gastroenterologist – treats stomach disorders

Hematologist/Oncologist – treats diseases of the blood and blood-forming tissues (oncology including cancer and other tumors)

Internal Medicine Physician – treats diseases and disorders of internal structures of the body.

Nephrologist – treats kidney diseases.

Neurologist – treats diseases and disorders of the nervous system.

Neurosurgeon – conducts surgery of the nervous system.

Obstetrician – treats women during pregnancy and childbirth

Gynecologist – treats diseases of the female reproductive system and genital tract.

Nurse-Midwifery – manages a woman’s health care, especially during pregnancy, delivery, and the postpartum period.

Occupational Medicine Physician – diagnoses and treats work-related disease or injury.

Ophthalmologist – treats eye defects, injuries, and diseases.

Oral and Maxillofacial Surgeon – surgically treats diseases, injuries, and defects of the hard and soft tissues of the face, mouth, and jaws.

Orthopaedic Surgeon – preserves and restores the function of the musculoskeletal system.

Otolaryngologist (Head and Neck Surgeon) – treats diseases of the ear, nose, and throat,and some diseases of the head and neck, including facial plastic surgery.

Pathologist – diagnoses and treats the study of the changes in body tissues and organs which cause or are caused by disease

Pediatrician – treats infants, toddlers, children and teenagers.

Plastic Surgeon – restores, reconstructs, corrects or improves in the shape and appearance of damaged body structures, especially the face.

Podiatrist – provides medical and surgical treatment of the foot.

Psychiatrist – treats patients with mental and emotional disorders.

Pulmonary Medicine Physician – diagnoses and treats lung disorders.

Radiation Onconlogist – diagnoses and treats disorders with the use of diagnostic imaging, including X-rays, sound waves, radioactive substances, and magnetic fields.

Diagnostic Radiologist – diagnoses and medically treats diseases and disorders of internal structures of the body.

Rheumatologist – treats rheumatic diseases, or conditions characterized by inflammation, soreness and stiffness of muscles, and pain in joints and associated structures

Urologist – diagnoses and treats the male and female urinary tract and the male reproductive system

 

जानिए पतंग के बारे में चटपटी-अटपटी बातें

🎍प्राचीनकाल से ही इंसान की इच्छा रही हैकि वह मुक्त आकाश में उड़े।

🎍इसी इच्छा ने पतंग की उत्पत्ति के लिए प्रेरणा का काम किया।

🎍कभी मनोरंजन के तौर पर उड़ाई जाने वाली पतंग आज पतंगबाजी के रूप में एक रिवाज, परंपरा औरत्योहारका पर्याय बन गई है।

🎍भारत सहित दुनिया के अनेक देशों में अनेक मान्यताएं और कहावतें प्रचलित हैं।

🎍हर जगह पतंग उड़ाने के लिए अलग-अलग समय निर्धारित है

🎍और हर जगह के अपने-अपने तौर-तरीके हैं, लेकिन सभी का उद्देश्य एक है आपसी भाईचारा और सामाजिक सौहार्द बढ़ाना।

🎍🎁* भारत में भी पतंग उड़ाने का शौक हजारों वर्ष पुराना हो गया है।

🎁🎍 कुछ लोगों के अनुसार पवित्र लेखों की खोज में लगे चीन के बौद्ध तीर्थयात्रियों के द्वारा पतंगबाजी का शौक भारत पहुंचा।

🎍🎁भारत के कोने-कोने से युवाओं के साथ उम्रदराज लोग भी यहां आते हैं और खूब पतंग उड़ाते हैं।

🎁🎍* एक हजार वर्ष पूर्व पतंगों का जिक्र संत नाम्बे के गीतों में दर्ज है।

🎁🎍* मुगल बादशाहों के शासन काल में तो पतंगों की शान ही निराली थी।

🎍खुद बादशाहऔर शहजादे भी इस खेल को बड़ी ही रुचि से खेला करते थे।

🎍उस समय तो पतंगों के पेंच लड़ाने की प्रतियोगिताएं भी होती थीं।

🎁🎍  हैदराबाद और लाहौर में पतंगबाजी की खेल बड़े उत्साह के साथ खेला जाता था।

🎁🎍* आज भी महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश, राजस्थान और दिल्ली आदि में पतंग उड़ाने के लिए समय निर्धारित है।

🎍अलग-अलग राज्यों में पतंगों को अलग-अलग नामों से जाना जाता है।

🎁🎍 * उत्तर भारत के लोग रक्षाबंधन और स्वतंत्रता दिवस वाले दिन खूब पतंग उड़ाते हैं।

🎍इस दिन लोग नीले आसमान में अपनी पतंगें उड़ाकर आजादी की खुशी का इजहार करते हैं।

 

 

🎁🎍* पहले कागज को चौकोर काटकर पतंगें बनाईजाती थीं, किंतु आज एक से बढ़कर एक डिजाइन, आकार, आकृति एवं रंगों वाली भिन्न प्रकार की मोटराइज्ड एवं फाइबर ग्लास पतंगें मौजूद हैं।

🎍जिन्हें उड़ाने का एहसास अपने आपमें अनोखा और सुखद होता है।

🎁🎍 दिल्ली, हरियाणा, उत्तरप्रदेश तथा मध्यप्रदेश के लोग इस दिन पतंगबाजी का जमकर लुत्फ उठाते हैं।

🎍पतंग उड़ाते और काटते समय में छोटे-बड़े के सारे भेदभाव भूल जाते हैं।

🎍इस दिन चारों तरफ वो काटा, कट गई, लूटो, पकड़ो का शोर मचता है।

🎁🎍* गुजरात की औद्योगिक राजधानी अहमदाबाद की बात करें तो भारत ही नहीं, यह पूरे विश्व में पतंगबाजी के लिए प्रसिद्ध है।

🎍 हर वर्ष 14 जनवरी को मकर संक्रांति (उत्तरायण) के अवसर पर यहां अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव का आयोजन होता है,

🎍जिसमें अहमदाबादी नीला आसमानइंद्रधनुषी रंगों से सराबोर हो जाता है।

🎁🎍* चीन, नीदरलैंड, यूएसए, ऑस्ट्रेलिया, जापान, ब्राजील, इटली और चिली आदि देशों में भी पतंगबाजों की फौज यहां आती है।

🎍 यह पतंग महोत्सव 1989 से प्रतिवर्ष मनाया जाता रहा है।

🎍यहां एक पतंग म्यूजियम भी बना है।

🎁🎍* मलेशिया की वाऊबलांग, इंडोनेशिया की इयांग इन्यांघवे, यूएसए की विशाल वैनर, इटली की वास्तुपरक, जापान की रोक्काकू तथा चीन की ड्रैगन पतंगों की भव्यता लाखों पतंग प्रेमियों को आश्चर्य से अभिभूत कर देती है।

🎁🎍* ग्रीक इतिहासकारों की मानें तो पतंगबाजी 2500 वर्ष पुरानी है, जबकि अधिकतर लोगों का मानना है कि पतंगबाजी के खेल की शुरुआत चीन में हुई।

🎍 चीन में पतंगबाजी का इतिहास 2 हजार साल से भी ज्यादा पुराना माना गया है।

🎁🎍* कुछ लोग पतंगबाजी को पर्शिया की देन मानते हैं, वहीं अधिकांश इतिहासकार पतंगों का जन्म चीन में ही मानते हैं। उनके अनुसार चीन के एक सेनापति हानसीज में कागज को चौकोर काटकर उन्हें हवा मेंउड़ाकर अपने सैनिकों को संदेश भेजा और बाद में कई रंगों की पतंगें बनाईं।

🎁🎍* आज भी चीन में पतंग उड़ाने का शौक कायमहै।

🎍 वहां प्रत्येक वर्ष सितंबर माह की 9तारीख को पतंगोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

🎍इस दिन चीन की लगभग समूची जनता पूरे जोश और उत्साह के साथ पतंगबाजी की प्रतियोगिता में भाग लेती है।

पतंग प्रकरण तो काफी रोचक हे👌👌👌👌👌

🎁🎍* अमेरिका में तो रेशमी कपड़े और प्लास्टिक से बनी पतंगें उड़ाई जाती हैं।

🎍 वहां जून के महीने में पतंग प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है।

🎁🎍* जापानी भी पतंगबाजी के शौकीन हैं।

🎍उनका मानना है कि पतंग उड़ाने से देवता प्रसन्न होते हैं।

🎍 वहां प्रति वर्ष मई के महीने में पतंगबाजी की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं।